Dhirendra Shastri: धीरेंद्र शास्त्री की वनवासी रामकथा का आदिवासी क्यों कर रहे विरोध? जानिए पूरा मामला
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Dhirendra Shastri: धीरेंद्र शास्त्री की वनवासी रामकथा का आदिवासी क्यों कर रहे विरोध? जानिए पूरा मामला

बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री की वनवासी राम कथा बालाघाट के परसवाड़ा में हो रही है. उनकी कथा को सुनने लाखों की संख्या 

Dhirendra Shastri: धीरेंद्र शास्त्री की वनवासी रामकथा का आदिवासी क्यों कर रहे विरोध? जानिए पूरा मामला

Bageshwar Dham: बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री की वनवासी राम कथा बालाघाट के परसवाड़ा में हो रही है. इस कथा का काफी विरोध भी हुआ, हालांकि कल धूमधाम से 23 मई को कथा का आयोजन किया गया. धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा को रुकवाने के लिए आदिवासी संगठन के लोग दो-दो बार हाईकोर्ट में याचिका तक कर चुके हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस कथा का आदिवासी इतने विरोध क्यों कर रहे हैं?  आइये जानते हैं...

कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासियों का कहना है कि जिस स्थल पर कथा की जा रही है, वो उनके आराध्य 'बड़ा देव' का स्थान है. ये आदिवासी संस्कृति पर अतिक्रमण है. ये पूरी तरह से आदिवासी क्षेत्र है. इतने बड़े आयोजन के लिए ग्राम सभा की इजाजत तक नहीं ली गई.

जंगली आदिवासी कहा गया?
वहीं आदिवासियों ने ये भी आरोप लगाया है कि धीरेंद्र शास्त्री ने आदिवासियों को यह कहकर अपमान किया कि जंगली आदिवासियों के बीच वो कथा करने जा रहे हैं. आदिवासी का मतलब जंगल में रहने वाले लोग नहीं होते हैं, अब समय बदल चुका है. हमारे देश की राष्ट्रपति भी द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी है. 

आयुष मंत्री ने दिया जवाब
गौरतलब है कि बालाघाट के परसवाडा में आयोजित हो रही इस कथा को आयोजन आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे  करवा रहे हैं. उन्होंने आदिवासियों को  लेकर उड़ाई जा रही अफवाह पर सफाई भी दी थी.  आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि कुछ लोगों के द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि पेसा एक्ट का पालन नहीं किया गया है. मैं बता देना चाहता हूं स्वीकृति लेकर ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. वहीं  यह भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम में चंदा लिया जाएगा. मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि किसी से भी कोई चंदा वसूल नहीं किया जाएगा और ना ही कोई पर्ची काटी जाएगी.

क्षेत्र के लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है कि यहां के आदिवासी समुदाय को वनवासी कहा गया है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. आयोजित कार्यक्रम का नाम ही वनवासी राम कथा है. जिसने भगवान श्री राम के वनवास के दौरान कैसे वह पुरुषोत्तम राम बने इसका कथा वाचन होगा. जिस पर भ्रम फैलाने का कार्य किया जा रहा है. मीडिया के हवाले से मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि ऋषि मुनियों की यह तपोभूमि है.

जानिए आदिवासियों की आपत्ति
- कथास्थल आदिवासियों के आराध्य बड़ा देव का स्थान
- आयोजन की परमिशन ग्राम सभा से नहीं ली.
- संविधान में लिखा है कि आदिवासियों की संस्कृति को संरक्षित रखा जाएगा. इसका उल्लघंन किया.
- धीरेंद्र शास्त्री ने आदिवासियों को जंगली बोलकर उनका अपमान किया.

हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ याचिका पर बहस कर रहे वकील को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा-  'जरा भी उल्टी-सीधी बहस की तो भेज दूंगा जेल. सारी वकालत खत्म हो जाएगी'. बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जीएस उद्दे और जज के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई. नोकझोंक के बाद जज ने याचिका को खारिज कर दिया. सर्वे आदिवासी समाज के कोषाध्यक्ष हेमलाल धुर्वे ने दायर की थी. इस याचिका को न्यायधीश विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने खारिज की. 

पहले दिन ही हिंदू राष्ट्र की बात
इन सब विवादों के बीच धीरेंद्र शास्त्री का कथा का आयोजन शुरू हो गया. पहले दिन कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमारे दिल में हिंदुओं के प्रति उद्धार है. भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर सनातन धर्म से दूर किया जा रहा है. इसलिए हम हिंदुओं को रोकने आए है. वन में रहने वाले लोगों में भगवान राम की छवि दिखती है. आप अपना गौरव मत भूलना, वन में रहने वनवासी तुम उस वंश के खानदान हो जिन्होंने वनवास के दौरान भगवान राम का साथ दिया.

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