आदिवासी बहुल गांव में निर्विरोध चुनी गई महिलाओं की सरकार, बोली-सपने में भी नहीं सोचा था
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आदिवासी बहुल गांव में निर्विरोध चुनी गई महिलाओं की सरकार, बोली-सपने में भी नहीं सोचा था

मध्य प्रदेश में इस बार के पंचायत चुनाव में सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं. एक आदिवासी बहुल गांव में ग्रामीणों ने मिलकर निर्विरोध महिलाओं की सरकार चुनी है, गांव में हुए इस बदलाव की सब जगह तारीफ हो रही है.

आदिवासी बहुल गांव में निर्विरोध चुनी गई महिलाओं की सरकार, बोली-सपने में भी नहीं सोचा था

संदीप मिश्रा/डिंडौरी। मध्य प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव में इस बार समरस पंचायत को लेकर भी जोर दिया जा रहा है. यानि जिन पंचायतों में निर्विरोध तरीके से जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे, उन पंचायतों को सरकार ने सम्मानित करने की बात कही है. खास बात यह है कि सरकार के इस फैसले का असर दिख भी रहा है. आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले में भी एक पंचायत महिलाओं की निर्विरोध सरकार बन गई, जहां न वोटिंग हुई और न प्रचार सीधे ग्रामीणों की सहमति से गांव की पढ़ी लिखी महिला को सरपंच और बाकि महिलाओं को पंच चुन लिया गया है. 

डिंडौरी जिले के शहपुरा जनपद पंचायत अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य मोहरा कला इकलौती ऐसी पंचायत है, जहां ग्रामीणों ने महिलाओं की क्षमता पर भरोसा कर पंचायत की बागडोर महिलाओं के हाथ में सौंपी है. जिसके बाद सभी निर्विरोध सरपंच चुनी गई, गांव की जयंती बरकड़े को निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया गया है. 

इस तरह बनी सहमति 
आदिवासी बाहुल्य मोहरा कला के ग्रामीणों ने इस बार गांव की महिलाओं को ग्राम पंचायत की कमान सौंपने का निर्णय लिया है, ग्रामीणों ने मिल बैठकर ऐसी सहमति बनाई की बिना मतदान कराये ही अपना सरपंच और पंच निर्वाचित कर लिया है. दरअसल, ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने यह फैसला महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया है. इसके अलावा पहले हुए पंचायत चुनावों में हर बार वाद विवाद की स्थिति बनती थी, इसलिए इस बार ऐसी कोई स्थिति भी न बने इसलिए भी ग्रामीणों ने निर्विरोध सरपंच और पंचों का चुनाव किया. 

महिलाएं हुईं खुश 
वहीं ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी मिलने से महिलाएं बेहद खुश नजर आ रही हैं, उन्होंने गांव के लोगों का सहयोग लेकर हरसंभव विकास करने का भरोसा जताया है. निर्विरोध निर्वाचित हुई महिला पंचों का कहना है की उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की कभी उन्हें ऐसा सम्मान और मौका मिलने वाला है. तो वहीं सर्वसम्मति से लिए गए इस निर्णय पर ग्रामीण भी फक्र महसूस कर रहे हैं.

गांव की नव निर्वाचित सरपंच जयंती बरकड़े का कहना है कि गांव के लोगों ने उन पर जो भरोसा जताया है, उस पर वह खरा उतरने की पूरी कोशिश करेगी. इसके अलावा पंचों ने भी सरपंच की पूरी मदद करने का भरोसा दिया है. 

वहीं ग्रामीणों ने भी ग्राम पंचायत के कामकाज में निर्वाचित महिलाओं का पूरा सहयोग करने की बात कर रहे हैं, पंचायत के सचिव बाल सिंह टेमरे बताते हैं की पिछले चुनावों के दौरान ग्राम पंचायत में विवाद की स्थिति बन जाती थी, जिसको ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों के सहयोग से इसबार मतदान के बिना निर्विरोध निर्वाचन का निर्णय लिया गया है. 

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