खाद के लिए लगी लंबी कतार ने ली बुजुर्ग की जान, घंटों से भूखा-प्यासा था किसान
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खाद के लिए लगी लंबी कतार ने ली बुजुर्ग की जान, घंटों से भूखा-प्यासा था किसान

सीहोर में खाद की लाइन में एक वृद्ध किसान की मौत का मामला सामने आया है. दरअसल जिले में खाद की किल्लत चल रही है. जिसके चलते किसानों को घंटों तक लंबी लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है.

खाद के लिए लगी लंबी कतार ने ली बुजुर्ग की जान, घंटों से भूखा-प्यासा था किसान

सीहोर: सीहोर में खाद की लाइन में एक वृद्ध किसान की मौत का मामला सामने आया है. दरअसल जिले में खाद की किल्लत चल रही है. जिसके चलते किसानों को घंटों तक लंबी लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है. वहीं शुक्रवार को खाद के लिए लाइन में खड़े एक 62 वर्षीय बुजुर्ग किसान की मौत हो गई.  बुजुर्ग सुबह से ही खाद के लिए कतार में खड़ा था. वहीं इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. 

पूर्व सीएम ने किया ट्वीट
कतार में खड़े किसान की मौत के मामले में  पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर के ढाबला में खाद की लाइन में घंटों लगे रहने के बाद किसान शिवनारायण मेवाड़ा की मृत्यु हो गई. मैं उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं. साथ ही मुख्यमंत्री से जानना चाहता हूं कि प्रदेश के किसानों को कब तक खाद के लिए इस तरह से परेशान किया जाएगा?

झूठे मुकदमे दर्ज हो रहे
सीएम ने आगे लिखा कि एक तरफ प्रदेश में खाद की जमाखोरी और कालाबाजारी हो रही है तो दूसरी तरफ किसान परेशान हो रहा है. सरकार कालाबाजारी करने वालों को संरक्षण दे रही है और किसानों की आवाज उठाने वालों पर झूठे मुकदमे लगा रही है. कमलनाथ ने सीएम से मांग की है कि वो तुरंत ही किसानों की खाद दिलवाएं.

भूख-प्यास से गई जान
दरअसल सीहोर की ढाबला सहकारी समिति में जहां रामा खेड़ी निवासी एक वृद्ध किसान शिवनारायण सुबह से भूखे प्यासे रहकर खाद लेने के लिए की लाइन में लगे था. लाइन में किसान को चक्कर आ गए. उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई. शिवनारायण की उम्र 65 वर्ष बताई जा रही है. किसान के परिजनों का आरोप है कि किसान दो-तीन दिन से खाद के लिए परेशान थे, वो सुबह से ही बिना कुछ खाए पिएं खाद लेने के लिए निकल पड़े थे.

अचानक हई मौत 
वहीं इस मामले में जब सहकारी समिति प्रबंधक शंकरलाल से पूछा गया तो उनका कहना था कि हमने यहां से उनके लिए खाद की पर्ची काट दी थी. गोडाउन में जाते समय उनकी मृत्यु हुई है. बरहारल जो भी हो नेताओं की अनदेखी का खामियाजा अब किसानों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

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