मेंढक बना दूल्हा और मेंढकी दुल्हन, शिव मंदिर में धूमधाम से हुई शादी, जानिए वजह
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1247571

मेंढक बना दूल्हा और मेंढकी दुल्हन, शिव मंदिर में धूमधाम से हुई शादी, जानिए वजह

बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत भेषकी और बरियों के ग्रामीणों ने मिलकर मेंढ़क और मेंढ़की की शादी कराई. इस दौरान मेंढक की बारात ग्राम पंचायत भेषकी से ढोल-नगाड़ा तथा नाच गानों के साथ निकली.

मेंढक बना दूल्हा और मेंढकी दुल्हन, शिव मंदिर में धूमधाम से हुई शादी, जानिए वजह

शैलेन्द्र सिंह/ बलरामपुर: बलरामपुर जिले में मॉनसून आने के बाद भी बरसात नहीं होने से किसान चिंतित और परेशान हैं. बारिश नहीं होने के कारण खेती पीछे हो रही है. बलरामपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार बारिश के लिए मेंढ़क मेंढ़की का विवाह कराया जाता है. लोगों का ऐसा मानना है मेंढ़क-मेंढ़की के मिलन से आमतौर पर अच्छी बारिश होती है.

LIVE: जानिए मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की दिन भर की बड़ी खबरें, एक क्लिक में जानें लेटेस्ट अपडेट

रीति-रिवाज से हुई शादी
ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से इंद्र देव को खुश करने के लिए मेंढ़क और मेंढ़की की शादी की. ढो़ल नगाड़ों के बीच दो गांव के लोगों ने मिलकर इस शादी कार्यक्रम का आयोजन किया और पूरे रीति रिवाज से मेंढ़क और मेंढ़की की शादी कराई. 

शिव मंदिर में हुई शादी
बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत भेषकी और बरियों के ग्रामीणों ने मिलकर मेंढ़क और मेंढ़की की शादी कराई. इस दौरान मेंढक की बारात ग्राम पंचायत भेषकी से ढोल-नगाड़ा तथा नाच गानों के साथ निकली और बरियों में शिव मंदिर के सामने मेंढकी के साथ उसकी शादी कराई गई.

इंद्रदेव को खुश करने ग्रामीणों ने अपनाई पूरानी परंपरा
मेंढ़क मेंढ़की की शादी में गांव के महिला पुरुष बच्चे, बुढ़े बुजुर्ग साथ ही गांव के सभी लोग शामिल हुए. ग्रामीणों ने कहा कि बारिश नहीं होने से वह सभी बेहद परेशान हैं. ऐसे में उन्होंने इंद्रदेव को खुश करने के लिए पुरानी परंपरा अपनाई है. ताकि क्षेत्र में अच्छी बारिश हो सके.

रतलाम में BJP ने 24 बागियों को पार्टी से निकाला, इसमें कई पदाधिकारी शामिल

पिछले साल भी अच्छी बारिश नहीं हुई
पिछले साल भी जुलाई-अगस्त के महीने में लगातार कई दिनों तक बारिश नहीं हुई थी. जिससे ग्रामीण निराश हो गए रामानुजगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत भंवरमाल में सहित अन्य गांवों में भी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ एवं हवन किया गया था.

Trending news