सनातन धर्म में मां गायत्री को त्रिदेवों के लिए भी पूज्यनीय बताया गया है. इसे का साथ ही गायत्री मंत्र ( Gayatri Mantra ) को बेहद शक्तिशाली माना गया. वैदिक मान्यता है कि इसमें 24 शक्तियों का वास होता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद इसके जाप से नाकारात्मक प्रभाव होते हैं. हम आपको बता रहे हैं गायत्री मंत्र की महिमा.
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गायत्री मंत्र ( Gayatri Mantra )
'ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।'
गायत्री मंत्र अर्थ ( Gayatri Mantra Meaning )
सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें.
कहा जाता है कि ब्रह्मा विष्णु और महेश भी गायत्री माता की पूजा किया करते हैं. सृष्टि के आरंभ में जब ब्रह्मा जी ने मां गायत्री का आवाह्न किया था, तब उनके मुख से खुद ही गायत्री मंत्र निकल पड़ा था. गायत्री मंत्र को बेहद शक्तिशाली माना गया है. मान्यता है कि इस मंत्र में चारों वेदों का सार छिपा है. इसके 24 अक्षरों में 24 शक्तियां समाहित हैं. ये मंत्र किसी भी काम में सफलता दिला सकता है, लेकिन इसके जाप को लेकर कुछ कायदे होते हैं. आइये जानते हैं गायत्री मंत्र की महिमा और पूजन विधी.
तीन समय करना चाहिए जाप
- गायत्री मंत्र जाप का पहला समय है सुबह का. सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए और इसे सूर्योदय के बाद तक जारी रखा जाना चाहिए
- गायत्री मंत्र जाप के लिए दूसरा समय होता है दोपहर का. दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है.
- गायत्री मंत्र जाप तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले. सूर्यास्त से पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए.
ये शक्तियां हैं समाहित
सफलता शक्ति, पराक्रम शक्ति, पालन शक्ति, कल्याण शक्ति, योग शक्ति, प्रेम शक्ति, धन शक्ति, तेज शक्ति, रक्षा शक्ति, बुद्धि शक्ति, दमन शक्ति, निष्ठा शक्ति, धारण शक्ति, प्राण शक्ति, मर्यादा शक्ति, तप शक्ति, शांति शक्ति, कॉल शक्ति, उत्पादक शक्ति, रस शक्ति, आदर्श शक्ति, साहस शक्ति, विवेक शक्ति और सेवा शक्ति ये 24 तरह की शक्तियां गायत्री मंत्र में छिपी हुई हैं.
इस तरह न करें जाप
गायत्री मंत्र सूर्य को शक्ति प्रदान करता है, इसलिए इसका प्रभाव चढ़ते सूरज के समय में अधिक होता है. सूर्यास्त के बाद गायत्री मंत्र को बोलकर जाप नहीं करना चाहिए. सूर्यास्त के बाद आप अगर इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो मन में ही कर सकते हैं. जब भी जाप करें, तब जाप के दौरान कुश के आसन पर बैठें और पूर्व या पश्चिम की ओर मुख करें और तुलसी या चंदन की माला से इसका जाप करें.
गायत्री मंत्र का जाप शुद्ध उच्चारण के साथ बोलकर करना चाहिए. तब इसका प्रभाव ज्यादा अच्छा होता है. आप इस मंत्र का जाप हमेशा दिन में ही उच्चारण के साथ बोलकर करें. गायत्री मंत्र के जाप के लिए सूर्योदय से पूर्व से लेकर सूर्योदय होने तक का समय सर्वश्रेष्ठ है. इसके अलावा दोपहर और सूर्यास्त से पहले तक भी आप इसका जाप कर सकते हैं.
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इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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