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प्रियांशु यादव/ग्वालियर: हस्तशिल्प उत्पाद में मध्यप्रदेश ने इतिहास रचते हुए 6 उत्पादों पर जीआई टैग (GI Tag) हासिल किया है. जिसमें ग्वालियर का कारपेट (Carpet of Gwalior) भी शामिल है. मध्यप्रदेश को 175वां जीआई टैग मिलने और ग्वालियर के कालीन उद्योग को जीआई टैग मिलने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने खुशी जताई है. वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी बधाई दी है.
कालीन कारोबार करेंगे विकसित
ग्वालियर के कालीन उद्योग को जीआई टैग मिलने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुशी जताई है. सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर के कालीन कारोबार को विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार और उनके द्वारा प्रयास किए जाएंगे. जिसके लिए चंदेरी की तर्ज पर ग्वालियर में कालीन इंडस्ट्री तैयार की जाएगी. जिससे यहां बुनकरों को विशेष सुविधाएं मिल पाए हैं और वे बेहतर तरीके से कार्य कर सकें. उनके प्रॉडक्शन के लिए सभी जरूरतें पूरी करने का प्रयास किया जाएगा.
मैं मुरैना और रीवा की जनता को बहुत - बहुत बधाई देता हूं।
चंबल की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को GI टैग मिल चुका है। मुरैना की गजक का स्वाद अब दुनिया में जा रहा है और सुंदरजा की मिठास अद्भुत है।- माननीय मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/rnq9mwE3GC
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) April 7, 2023
बड़ी फैक्ट्री ग्वालियर में स्थापित हो
सिंधिया ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्पेट की फैक्ट्री की शुरुआत की, जिसे हम आगे ले जा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि सबसे बड़ी लूम की फैक्ट्री ग्वालियर में स्थापित हो. इसी योजना पर काम किया जा रहा है.
इन 6 उत्पादों को मिला GI Tag
जिसमें ग्वालियर का कारपेट, भेड़ाघाट के स्टोक्रॉप, डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, बालाघाट की वारासिवनी की रेशमी साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल हैं. केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोश इंटरनल ट्रेड ने ये तमगा दिया है.
क्या होता है जीआई टैग
बता दें कि जीआई का फुल फॉर्म Geographical indication है. इसका मतलब भौगोलिक संकेत होता है. जीआई टैग एक ऐसा प्रतीक होता है, जो मुख्य रुप से किसी उत्पाद को उस जगह से जोड़ने के लिए दिया जाता है.