Rawan village: यहां भगवान गणेश से पहले होती हैं रावण की पूजा, दशहरे के दिन मनाया जाता है मातम
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1928250

Rawan village: यहां भगवान गणेश से पहले होती हैं रावण की पूजा, दशहरे के दिन मनाया जाता है मातम

विदिशा जिले की नटेरन तहसील से महज 6 किमी दूरी रावण गांव के लोग रावण को प्रथम पूज्यनीय मानते हैं. यहां के लोग अपने आप को रावण का वंशज मानते हैं. इस गांव के हर घर के मुख्य दरवाजे से लेकर घर के आंगन में खड़े वाहनों पर जय लंकेश लिखा हुआ था. 

Rawan village: यहां भगवान गणेश से पहले होती हैं रावण की पूजा, दशहरे के दिन मनाया जाता है मातम

विदिशा: 24 अक्टूबर को देशभर में विजयादशमी का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. आमतौर पर लोग रावण को राक्षस मानते हैं, और देश में विजयादशमी पर रावण का दहन किया जाता है. लेकिन एमपी में एक जगह ऐसी भी है, जहां लोग रावण को भगवान मानते हैं. यहां रावण की न सिर्फ पूजा की जाती है, बल्कि लोगों ने अपने शरीर पर जय रावण, जय लंकेश लिखवाया हुआ हैं.

बता दें कि विदिशा जिले की नटेरन तहसील से महज 6 किमी दूरी रावण गांव के लोग रावण को प्रथम पूज्यनीय मानते हैं. यहां के लोग अपने आप को रावण का वंशज मानते हैं. इस गांव के हर घर के मुख्य दरवाजे से लेकर घर के आंगन में खड़े वाहनों पर जय लंकेश लिखा हुआ था. रावण गांव के लोगों की रावण के प्रति भक्ति देखकर हम आश्चर्यचकित थे. यहां गांव के स्कूल, ग्राम पंचायत पर भी रावण लिखा हुआ है. 

प्रचलित है ये कहानी 
रावण बाबा मंदिर के पुजारी पंडित नरेश तिवारी ने बताया कि सामने रावण बाबा के मंदिर से उत्तर दिशा में तीन किमी दूरी पर एक बूधे की पहाड़ी है. ऐसी मान्यता है कि इस पहाड़ी पर प्राचीन काल में बुद्ध नामक एक राक्षस रहा करता था. जो रावण से युद्ध करने की इच्छा रखता था. जब वह युद्ध करने लंका पहुंचा तो वहां लंका की चकाचौंध देख मोहित हो जाता और उसका क्रोध भी शांत हो जाता था. एक दिन रावण ने उसे राक्षस से पूछा तुम दरबार में आते हो और हर बार बिना कुछ बताये चले जाते हो. तब बुद्ध राक्षस ने बताया कि महाराज (रावण) मैं हर बार आपसे युद्ध की इच्छा लेकर आता हूं लेकिन यहां आपको देखकर मेरा क्रोध शांत हो जाता है. तब रावण ने कहा कि तुम कहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना. तब से यह प्रतिमा बनी हुई है. लोगों ने उसे प्रतिमा की महिमा को देखते हुए, वहां रावण बाबा का मंदिर बना दिया. लोगों की इस तरह आस्था जुड़ी है कि गांव में जब भी कोई वाहन खरीदना है तो उसे पर रावण बाबा का नाम जरूर लिखवाता है.

Gold Price Today: दशहरे पर सोना-चांदी हुआ सस्ता, जानिए कितने रुपये गिरी कीमत

सबसे पहले रावण की पूजा होती है
रावण के मंदिर के सामने एक तालाब है. जिसके बीच एक पत्थर की बड़ी सी तलवार गढ़ी हुई है. कहा जाता है कि इस तालाब की मिट्टी से लोगों के चर्म रोग भी ठीक हो जाते हैं. इस मिट्टी को लोग विदेश तक लेकर गए हैं. देशभर में रावण दहन को लेकर काफी क्रेज रहता है, लेकिन यहां रावण को जलाने की बात सुन भी नहीं सकते. दशहरे के दिन गांव में रावण दहन का शोक मनाया जाता है और रावण को मनाने विशेष पूजा की जाती है. रावण बाबा ग्राम देवता है.. यहां प्रथम पूजा रावण बाबा की होती है. शादी जैसे शुभ कार्य पर रावण बाबा की जब तक पूजन नहीं की जाती तब तक कढ़ाई गर्म नहीं होती.

पंडित जी बताते हैं कि मूर्ति को एक बार ग्रामीणों ने खड़ी करना चाहा तो गांव में आग लग गयी. इस गांव के मंदिर में रावण बाबा की सभी समाज के लोग पूजा करते है. भगवान श्रीराम और रावण में कोई अंतर नहीं समझते, बड़े-बूढ़े सभी रावण बाबा की जय बोलते है. 

गाड़ी नहीं चलेगी अगर रावण नहीं लिखवाया तो
पंडित नरेश महाराज ने बताया कि रावण हमारे पूरे गांव के इष्ट, कुलदेवता है. जय लंकेश हमारी गाड़ियों पर लिखा मिलेगा. जय लंकेश नहीं लिखेंगे तो हमारा वाहन नहीं चलेगा. ट्रैक्टर-ट्रॉली, जीप, मोटरसाइकिल सब वाहनों पर जय लंकेश लिखा मिलेगा. जब ही हमारा वाहन चलता है.

रिपोर्ट- दीपेश शाह

Trending news