Shadi Ke Saat Phere: शादी में दुल्हा-दुल्हन सात फेरे ही क्यों लेते हैं? जानिए वजह
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Shadi Ke Saat Phere: शादी में दुल्हा-दुल्हन सात फेरे ही क्यों लेते हैं? जानिए वजह

saat vachan ke saath phere: हिंदू धर्म में सात (7) अंक का विशेष महत्व है. हर शुभ कार्यों में 7 का प्रयोग किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी इस पर गौर किया है कि आखिर शादी के मंडप में दूल्हा-दुल्हन द्वारा बगैर 7 फेरे लिए शादी अधूरी रहती है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह.

Shadi Ke Saat Phere: शादी में दुल्हा-दुल्हन सात फेरे ही क्यों लेते हैं? जानिए वजह

Hindu Marriage Rituals: हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार (16 rituals) किए जाते हैं. इन्हीं में से एक विवाह (marriage) संस्कार है. इसका हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है. विवाह वो पवित्र बंधन होता है, जो न केवल दो लोगों का मिलन है, बल्कि जिम्मेदारी लेना सिखाता है. इसी तरह विवाह में सात फेरे (saat phere) लेने का भी अपना एक महत्व है. ये सात फेरे सात वचन, सात जन्म, हिन्दू धर्म में इन सभी का विवाह से गहरा नाता होता है. धार्मिक मान्यता है कि हिन्दू धर्म में सात फेरे के बिना कोई विवाह संपन्न नहीं होता है. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि शादी में आखिर सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य...

शादी में सात फेरे क्यों ?
हिन्दू संस्कृति में शादी में सात फेरे लेने का संबंध सात जन्मों से माना जाता है. विवाह में वर-वधु के सात फेरे लेने की प्रक्रिया को सप्तपदी बताया जाता है. अग्नि को साक्षी मानकर वर-वधु सात फेरे लेते हैं और साथ जीने मरने की कसमें खाते है. इस रिश्ते को सात जन्मों तक तन, मन और आत्मा से पति-पत्नि के रुप में निभाने का वादा करते हैं. ये सात फेरे ही हिन्दु विवाह की स्थिरता का मुख्य स्तंभ है. 

शादी के सात वचन
शादी में सात वचन लेने का अपना एक महत्व होता है. इसमें हर एक फेरा वचन होता है. जिसके जरिए वर-वधु जीवनभर हर तरह से साथ निभाने की प्रतिज्ञा लेते हैं. हिन्दु धर्म में इन सात फेरों और वचन का महत्व होता है. दो लोगों का शारीरिक और आत्मिक रूप से एक हो जाना ही विवाह का पवित्र बंधन होता है. मान्यता हैं कि मनुष्य सात जन्म लेता है, इसलिए वर-वधु को सात जन्मों का साथी माना जाता है. 

सात की संख्या का महत्व
भारतीय संस्कृति में 7 ऋषि, 7 ग्रह, 7 संगीत के सुर और मंदिर की सात परिक्रमा, इंद्रधनुष के सात रंग, सात समुद्र आदि का उल्लेख किया जाता है. इसी कारण वैदिक और पौराणिक मान्याताओं में 7 की संख्या को बहुत शुभ माना जाता है. इसी को  ध्यान में रखते हुए सात फेरे लेने की परम्परा चली आ रही है. इसके अलावा भारतीय धर्म ग्रंथों में प्रथ्वी पर सारी महत्वपूर्ण चीजों की संख्या सात मानी जाती है.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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