2 अप्रैल से शुरू हो रहा हिंदू नववर्ष, इन देशों में पड़ेगी शनिदेव की काली छाया
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2 अप्रैल से शुरू हो रहा हिंदू नववर्ष, इन देशों में पड़ेगी शनिदेव की काली छाया

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ब्रह्मांड के सभी क्रियाकलाप ग्रहों द्वारा नियंत्रित होते हैं. आकाश में जो भी ग्रह और नक्षत्र है, उसे यह पृथ्वी और सम्पूर्ण ब्राह्मडं अप्रभावित नहीं करते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिष मर्मज्ञ प्रपन्नाचार्यजी द्वारा नए विक्रमी संवत 2079 का देश दुनिया पर क्या प्रभाव रहेगा.

 

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्लीः नए विक्रमी संवत 2079 का आरंभ 2 अप्रैल 2022 से होगा. ज्योतिष शास्त्र के नियमानुसार नव संवत तथा राजा आदि का निर्णय चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के वारादि के अनुसार किया जाता है. भारतीय पद्धति के अनुसार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक एक दिन होता है.

इस बार रोहिणी का वास विक्रमी संवत 2079 में मेष संक्रांति का प्रवेश पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र कालीन हुआ है. इस विक्रमी संवत का वास समुद्र पर होगा, जिससे सर्वाधिक वर्षा से उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और ओडीशा में बाढ़ का प्रकोप बनेगा.
 
शनिदेव देव का प्रभाव
नव विक्रमी 2079 के राजा शनिदेव है. शनि का वाहन भैसा है. शनि की दृष्टि पंचम स्थान, पूर्व-दक्षिण देशों में और राज्यों में प्राकृतिक प्रकोप, भूकम्प,भूस्खलन, वर्षा की अधिकता बनी रहेगी. जन और धन की हानि, सत्ता परिवर्तन, राजनीतिक पार्टियों में मतभेद, घटनाओं में वृद्धि होगी. विभिन्न प्रकार बीमारियां पनपेगी. इस वर्ष किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या का फरमान जारी हो सकता है.

शनि-मंगल की युति मकर राशि धनिष्ठा नक्षत्र में स्थित हैं. जिसके स्वामी मंगल ग्रह हैं. शनि-मंगल दोनों ही तमोगुणी होने से धनिष्ठा को तमोगुणी मानना उचित होगा. तमोगुणी के प्रभाव से विध्वंस व विनाश की राह पकड़ कर दूसरों को कष्ट पहुंचाने में सुख मानने लगते हैं. इस वर्ष समाज में भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता, कपट के व्यवहार के चलते तमोगुणी व्यवहार निश्चित वरदान साबित होगा.

5 अप्रैल 2022 को मंगल-शनि दोनों एक समान अंश स्थित होंगे. जो भयंकर परिस्थितियां उत्पन्न करेगा. जिसके बाद मंगल मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. जो विश्व की शांति को भंग करने में योगदान करेंगे. नव विक्रमी संवत मिथुन लग्न की है. जिससे संसद, प्राशासनिक अधिकारी वर्ग और शासकीय कार्यालयों में आय से संबंधित भाव है.

फैल सकती है अराजकता
अचानक सत्ता का फेरबदल, आंतरिक द्वंद, सीमाओं पर युद्ध, आतंकवादी गतिविधियों, विस्फोटक घटना घटित हो सकती है. भारत के पड़ोसी देशों जैसे- पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, सीरिया, तुर्की और फ्रांस आदि देशद्रोह-राजद्रोह और देश में फैलता जिहाद, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाना चाहते हैं, में व्यापक रूप से फैलता दिखाई देगा. पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में रक्तपात और हत्याकांड, मरने-मारने जैसी घटनाएं घटित हो सकती हैं.

चीन पर क्या होगा प्रभाव?
बृहस्पति मीन राशि में गोचर करेंगे, मीन राशि चीन देश की राशि है. चीन की विस्तार नीतियों से विश्व में कई प्रकार की विचित्र और अप्रिय घटनाएं घट सकती हैं. कई तरह के उलट फेर होंगे. ग्रह स्थिति के अनुसार उथल-पुथल के संकेत बन रहे हैं. जैसे प्राकृतिक आपदाएं, खड़ी फसलें पानी की कमी में खराब होना, अचानक से बीमारी फैलेगी जिसकी चपेट में बच्चे और युवा आ सकते हैं. अग्निकांड, भूकंप, भूखलन, सम्प्रदायिक उपद्रव आदि घटनाएं घटित होंगी. 

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भारत की सीमाओं पर बन सकते हैं युद्ध जैसे हालात 
12 जुलाई 2022 से जनवरी 2023 तक को शनि वक्री गति से मकर राशि गोचर करेंगे. जिस के कारण वायुवेग, अचानक गंभीर बीमारियों से लोग ग्रसित होंगे. शनि के कुम्भ राशि में गोचर करन की वजह से कई देशों में गृहयुद्ध और नए समीकरण दिखाई पड़ेंगे. भारत से पड़ोसी देशों से विदेशनीति में सामंजस्य स्थपित नहीं हो पाएगा. भारतीय सीमा पर तनावपूर्ण माहौल बना रहेगा और युद्ध जैसे हालात पैदा होंगे. 

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