Yadvendra Singh yadav Join congress: बीजेपी को चुनाव से पहले कांग्रेस तगड़ा झटका दिया है. अशोकनगर जिले की मुंगवाली सीट से पूर्व विधायक देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव ने बीजेपी का दामन छोड़, कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.
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MP election 2023: कांग्रेस की 2018 विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सरकार बनी थी. लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia) ने पूरी सरकार गिरा दी और सत्ता में फिर बीजेपी की सरकार बन गई. अब इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (MP election 2023) होना है, तो कांग्रेस ने इसके लिए अपनी कमर कस ली है. इसका ताजा उदाहरण ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में बुधवार को देखने को मिला, जब वर्षों पुराने बीजेपी परिवार को कांग्रेस ने तोड़ लिया.
दरअसल ग्वालियर संभाग में अशोकनगर की मुंगावली विधानसभा (Ashok nagar Mungaoli seat) क्षेत्र से 3 बार विधायक रहे स्व. राव देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव (Yadvendra Singh yadav) कांग्रेस में शामिल हो गए. वो अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इसके साथ ही उन्होंने सिंधिया पर जमकर हमला बोला है. अब इस सीट की अमहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि मुंगावली सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाववाली सीटों में से एक मानी जाती रही है.
आज मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में मुंगावली (अशोकनगर) के युवा एवं तेजतर्रार भाजपा नेता राव यादवेंद्र सिंह यादव को कांग्रेस सदस्यता कार्यक्रम की झलकियां । pic.twitter.com/ZdsJHbqaxe
— Arun Subhash Yadav (@MPArunYadav) March 22, 2023
इन दिग्गजों ने दिलाई सदस्यता
वहीं राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस सेंधमारी में कांग्रेस की तिकड़ी अरुण यादव, सचिन यादव और विधायक जयवर्धन सिंह का अहम रोल रहा है. तभी तो देखिए ना कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, जयवर्धन सिंह ने उन्हें सदस्यता दिलाई हैं.
भारी समर्थकों के साथ थामा कांग्रेस का हाथ
मुंगवाली से पूर्व विधायक देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव ने बुधवार को अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन तो थाम लिया. साथ ही उन्होंने अपनी ताकत का अंदाजा भी सभी को दिखा दिया. दरअसल यादवेंद्र सिंह करीब 500 से अधिक कारों के काफिले के साथ राजधानी भोपाल के पीसीसी ऑफिस कार्यालय पहुंचे थे.
पिता तीन बार के विधायक
स्व. देशराज सिंह यादव अशोकनगर के अमरोद गांव के निवासी थे. तीन बार उन्हें मुंगावली से भाजपा के टिकट पर जीत मिली. साल 1990 में वो पहली बार विधायक बने और फिर 1998 में दूसरी बार विधायक चुने गए. इसके बाद साल 2008 में तीसरी बार विधायक चुना गया. इसके अलावा उन्हें दो बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ने का मौका मिला था. कांग्रेस की सदस्यता लेने वाले यादवेंद्र सिंह खुद, उनकी मां और पत्नी वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी के नेतृत्व से प्रभावित होकर मुंगावली के भाजपा नेता राव यादवेंद्र सिंह यादव अपने हज़ारों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए।
"जय कांग्रेस, विजय कांग्रेस" pic.twitter.com/4QlEWfctrc
— MP Congress (@INCMP) March 22, 2023
यादव फैक्टर का काफी असर
यादवेंद्र सिंह के कांग्रेस में आने से कांग्रेस को काफी ताकत मिलती हुई दिखाई दे रही है. बता दें कि मुंगावली विधानसभा सीट पर यादव फैक्टर काफी चलता है. यहां जीत और हार यादव समाज ही तय करता है. बताया जाता है कि इस सीट पर करीब 50 से 60 हजार यादव मतदाता हैं. वहीं अब राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि कांग्रेस में यादवेंद्र सिंह के आने से अशोकनगर जिले की तीन सीटों के समीकरण बदल सकते हैं.
3 साल से हो रही थी चर्चा
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में इस बात के संकेत दिए थे कि ऐसा परिवार कांग्रेस में शामिल होने जा रहा है, जिसने अपना राजनीतिक जीवन समाजसेवा में लगाया है. वहीं अरुण यादव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि उन्हें 3 साल से कांग्रेस में लाने के लिए मेहनत लगी है.
यादवेंद्र ने साधा निशाना
यादवेंद्र सिंह यादव ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद बीजेपी और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जनसंघ के समय से मेरे पिताजी भाजपा में रहे बहुत संघर्ष कर पार्टी को खड़ा किया. आज हमारे परिवार के 3 सदस्य जिला पंचायत में हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने के बाद से अशोकनगर में भेदभाव होने लगा है. यहां भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है. लोगों की जमीनें छुड़ा ली गयी हैं. भाजपा के नेता किलोमीटर में कॉलोनी काट रहे हैं. हजारों करोड़ रुपये नेता कमा रहे हैं. इस स्थिति से हम व्यथित हो रहे हैं. हमारे लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज हुए है. भाजपा की विचारधारा पहले जैसी नहीं रही. कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित होकर कांग्रेस में आये हैं. पूरा मुंगावली मेरा परिवार है. कांग्रेस पार्टी तय करेगी चुनाव लड़ना है या नहीं.