सिर्फ दो भाई-बहन के लिए खुलता है MP का यह सरकारी स्कूल, दोनों पर 6 लाख खर्च कर रही शिवराज सरकार
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सिर्फ दो भाई-बहन के लिए खुलता है MP का यह सरकारी स्कूल, दोनों पर 6 लाख खर्च कर रही शिवराज सरकार

नरसिंहपुर के गोटेगांव तहसील का चिरचिटा गांव का सरकारी प्राथमिक स्कूल जहां की कहानी सरकारी शिक्षा की हकीकत भी बयान कर रही है. हालात ऐसे हैं कि जिले के इस स्कूल में महज दो बच्चे हैं, वो भी भाई-बहन हैं. स्कूल में दो शिक्षक हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

शैलेंद्र शर्मा/नरसिंहपुर: आपने जापान की एक लड़की कहानी तो सुनी होगी या सोशल मीडिया में पढ़ा होगा. जिसमें जापानी सरकार एक लड़की की पढ़ाई के लिए ट्रेन दौड़ाती थी. जापान सरकार ने बंद पड़े स्टेशन तक तब तक ट्रेन चलाई जब तक लड़की ने 12वीं तक पढ़ाई पूरी नहीं कर ली. उसी कहानी से मिलती-जुलती एक कहानी मध्य प्रदेश के स्कूल की भी है. यह स्कूल नरसिंहपुर जिले में है. जो सिर्फ दो बच्चों के लिए खुलता है. इस स्कूल भाई-बहन पढ़ते हैं. उनकी पढ़ाई पर शिवराज सरकार सालाना 6 लाख खर्च करती है. 

नरसिंहपुर के गोटेगांव तहसील का चिरचिटा गांव का सरकारी प्राथमिक स्कूल जहां की कहानी सरकारी शिक्षा की हकीकत भी बयान कर रही है. हालात ऐसे हैं कि जिले के इस स्कूल में महज दो बच्चे हैं, वो भी भाई-बहन हैं. स्कूल में दो शिक्षक हैं. एक को बच्चों की कमी के चलते पास के दूसरे स्कूल में अटैच कर दिया है. दूसरे शिक्षक स्कूल के समय में अपने विद्यार्थियों को खोजकर उन्हें पढ़ाने की कोशिश करते रहते हैं. कभी बच्चे आ गए तो स्कूल लग जाता है, वरना शिक्षक महोदय स्कूल में अकेले समय बिताकर घर लौट जाते हैं. लेकिन कक्षा चार में पढ़ने वाली मनीषा और कक्षा एक मे पढ़ने वाला उसका भाई दीपेश ही इस स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं. इन्हें पढ़ाने सरकारी सिस्टम इस स्कूल पर हर साल 6 लाख से ज्यादा खर्च कर रहा है. प्रशासन चाहता तो इस स्कूल को बंद कर सकता है, लेकिन शिक्षा से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता, शायद इसी भाव को लेकर प्रशासन इस स्कूल को न तो बंद किया और नहीं यहां शिक्षक का ट्रांस्फर किया.

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सरकारी स्कूलों की योजनाएं और पढ़ाई ऐसी कि अभिभावक अपने बच्चों के लिए निजी स्कूल का रुख कर रहे हैं. पर जिले में कुछ सरकारी स्कूल ऐसे भी हैं. जहां बच्चों की भरमार है और आसपास के निजी स्कूलों को बमुश्किल बच्चे मिल रहे हैं. यहां पढ़ाने वाले शिक्षक गुलाब साहू अपनी उम्र की वजह से भी स्कूल के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उस पर एक शिक्षक होना और पूरे स्कूल की जिम्मेदारी कहीं न कहीं ये सम्भालना उनके लिए आसान नहीं हैं. लेकिन दोनों भाई-बहन को शिक्षित करने से पीछे नहीं हट रहे.

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