Betul News: किसान के कुएं में गिरा दुर्लभ पैंगोलिन, वन विभाग ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा
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Betul News: किसान के कुएं में गिरा दुर्लभ पैंगोलिन, वन विभाग ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा

MP News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल में एक कुएं से वन कर्मचारियों ने एक दुर्लभ पैंगोलिन को रेस्क्यू किया है. सांवलीगढ़ रेंज में एक किसान के खेत के कुएं में पैंगोलिन गिरने की सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची थी.

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Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के पश्चिम वन मंडल में विलुप्त हो रहे पैंगोलिन को एक किसान ने अपने खेत के कुएं में देखा, जिसके बाद किसान की सूचना पर वन विभाग के प्रशिक्षु आईएफएस अक्षत जैन, एसडीओ चिचोली गौरव मिश्रा और सांवलीगढ़ रेंजर भीमा मंडलोई टीम के साथ मौके पर पहुंचे. जिसके बाद वन विभाग टीम ने उसे टोकनी की मदद से बाहर निकाला और मेडिकल टीम द्वारा स्वस्थ पाए जाने पर उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया.

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एसडीओ मिश्रा ने कहा कि पैंगोलिन एक संरक्षित वन्य प्राणी है. यह एक से डेढ़ साल की मादा पैंगोलिन बताई जा रही है. लगभग ढाई फीट लंबा यह दुर्लभ पैंगोलिन काफी फुर्तीला बताया जाता है. किसान के मुताबिक जब इस जीव को कुएं में देखा गया तो वह डरा हुआ था और कुएं से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, जिसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई. पैंगोलिन को ग्रामीण आम बोलचाल में चींटीखोर कहा जाता है. यह अपने पपड़ीदार आवरण के कारण काफी सुंदर दिखता है.

दुर्लभ प्रजाति का जीव
डीएफओ वरुण यादव ने बताया कि यह भारत में विलुप्त प्रजाति का दुर्लभ स्तनधारी पैंगोलिन संरक्षित वन्य प्राणी है, इसलिए इसके स्थान को गोपनीय रखा गया है. अब तक इस जंगली जानवर की मौजूदगी मंडला, बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा में पाई गई है.

केराटिन शल्कों से ढका होता है शरीर
पैंगोलिन एक शर्मीला और एकान्तवासी स्तनपायी है जो सिर से पैर तक केराटिन से बने शल्कों से ढका रहता है. यह वही पदार्थ है जो हमारे नाखूनों में पाया जाता है. यह नाम मलय शब्द पैंगुलिन से आया है, जिसका अनुवाद रोलर होता है. साथ ही, वे खुद को बचाने के लिए गेंद की तरह सिकुड़ने की क्षमता रखते हैं.

40 सेमी लंबी होती है जीभ
पैंगोलिन की जीभ 40 सेमी लंबी होती है और इनका लार बहुत चिपचिपा होता है, जिसका उपयोग वे चींटियों और दीमकों को इकट्ठा करने के लिए करते हैं. जिनमें से प्रत्येक 70 मिलियन तक चींटियां और दीमक खा जाते हैं. इससे उनके आवासों में कीटों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. पैंगोलिन अपने लंबे, नुकीले पंजों से कीड़ों को खोदते हैं, बिल बनाते हैं जिनका उपयोग अन्य जानवर करते हैं और पोषक तत्वों को फैलाने और मिट्टी को हवादार बनाने में मदद करते हैं.

पैंगोलिन, जिसे स्केली एंटईटर के नाम से भी जाना जाता है. जानकारी के मुताबिक, यह एकमात्र स्तनधारी है जिसकी त्वचा पर बड़े केराटिन स्केल होते हैं. वे बिना दांत और निशाचर भी होते हैं. जैसे ही पैंगोलिन को खतरा महसूस होता है, वे एक गेंद की तरह सिमट जाते हैं. दुनिया भर में पाई जाने वाली इन आठ प्रजातियों में से एशिया और अफ्रीका में चार-चार पाई जाती हैं और भारत में दो पाई जाती हैं. भारतीय पैंगोलिन मैनिस क्रैसिकाउडाटा और चीनी पैंगोलिन मैनिस पेंटाडैक्टाइला. भारतीय पैंगोलिन देशभर में हिमालय के दक्षिण में पाया जाता है.वहीं चीनी पैंगोलिन असम और पूर्वी हिमालय में पाया जाता है.

स्तनधारियों की अज्ञात है वर्तमान जनसंख्या 
भारत में इन स्तनधारियों की वर्तमान जनसंख्या अज्ञात है, क्योंकि अब तक कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं किया गया है. भारतीय पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन दोनों अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध हैं.

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