Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के बाबा श्री महाकालेश्वर के दर्शन का अलग ही महत्व है. यह देश का इकलौता ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां महाशिवरात्रि का पर्व 9 दिन पहले ही शुरू हो जाता है. शिव नवरात्रि के आखिरी दिन के बाद तक विशेष पूजा अर्चना दौर चलता है. इस दौरान बाबा महाकाल के दर्शन से अनेक लाभ मिलते हैं.
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Mahakaleshwar Darshan LIVE: सनातन धर्म परंपरा में जिस तरह शक्ति की आराधना के लिए नवरात्रि मनाई जाती है. उसी तरह बारह ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में ही शिव नवरात्रि मनाई जाती है. महाकाल मंदिर में शिव नवरात्रि का उत्सव फाल्गुन कृष्ण पंचमी 29 फरवरी से शुरू हुआ, जो आज श्री महाशिवरात्रि महापर्व के नौवें दिन दिन के साथ खत्म होगा. 9 ही दिन बाबा का श्रृंगार अलग-अलग स्वरूप में हुआ.
आज महाशिवरात्रि के अवसर पर सुबह 02:30 बजे विशेष पूजा अर्चना के साथ बाबा महाकाल के पट खोले गए. पंचाभिषेक के साथ भस्म आरती हुई. विशेष पूजन श्रृंगार हुआ श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर्षोल्लास का माहौल है. अब अगले 44 घंटे तक लगातार होने वाले पूजन दर्शन का क्रम चलता रहेगा. 44 घंटों में 12 लाख भक्तों के आने की उम्मीद है. पुलिस प्रशासन का दावा है कि हर भक्त को सिर्फ 45 मिनट में हो जाएंगे. दर्शन का सिलसिला 09 मार्च की रात 10:30 शयन आरती तक जारी रहेगा. इस दौरान श्री महाकालेश्वर भगवान जी के पट दर्शन के लिए लगभग 44 घंटे के लिए खुले रहेंगे.
बाबा महाकाल के लाइव दर्शन
महापर्व पर क्या होगा विशेष
महापर्व पर भस्म आरती के लिए श्री महाकालेश्वर भगवान जी के मंगल पट सुबह 02:30 बजे खुले. भस्म आरती के बाद 07:30 से 08:15 दद्योदक आरती, 10:30 से 11:15 तक भोग आरती के पश्यात दोपहर 12 बजे से उज्जैन तहसील की ओर से पूजन-अभिषेक संपन्न होगा. शाम 04 बजे होल्कर व सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन व सायं पंचामृत पूजन के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर को नित्य संध्या आरती के समान महाशिवरात्रि पर्व पर भी गर्म मीठे दूध का भोग लगाया जायेगा. रात्रि में शाम 07 बजे से 10 बजे तक कोटितीर्थ कुण्ड के तट पर विराजित श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन, सप्तधान्य अर्पण, पुष्प मुकुट श्रृंगार (सेहरा) के उपरान्त आरती की जायेगी. रात्रि 11 बजे से सम्पूर्ण रात्रि 09 मार्च सुबह 06 बजे तक भगवान श्री महाकालेश्वर जी का महाअभिषेक पूजन श्रृंगार चलेगा. जिसमें एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ व विभिन्न मंत्रो के माध्यम से 11 ब्राह्मणों द्वारा देवादिदेव भगवान श्री महाकालेश्वर जी का अभिषेक किया जायेगा.