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सचिन गुप्ता/छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा जिला अस्पताल हमेशा अपनी लापरवाही के चलते सुर्खियो में रहता है लेकिन जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधक भी डॉक्टरों की लापरवाही पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है. ताजा मामला एक बच्चे से जुड़ा हुआ है. जहां एक बच्चे की आंख में पेंचकस घुस गया तो डॉक्टरों ने उसे बिना देखे ही नागपुर रैफर कर दिया. अब अस्पताल प्रबंधन की शिकायत परिजनों ने की है. हालांकि ये पूरा मामला चमत्कार से कम भी नहीं है.
दरअसल छिंदवाड़ा जिले के लावाघोघरी के अंतर्गत आने वाले ग्राम बदनूर गांव से सामने आया है. जहां पर घर में खेलते-खेलते 3 वर्षीय आकाश की आंखों में पेचकस घुसा गया. जिसके बाद बच्चे के परिजन बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. लेकिन डॉक्टरों ने देखकर उसे बिना देखें ही नागपुर रैफर कर दिया.
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रास्ते में निकला पेंचकस
ऐसे में परिवार के लोग बच्चे को लेकर एंबुलेंस के सहारे नागपुर के लिए रवाना हो गए. लेकिन नागपुर पहुंचने के पहले ही बच्चे की आंख से पेंचकस वैसे ही निकल गया. जिसके बाद परिवारों के लोगों ने राहत की सांस ली. हालांकि बच्चे के परिजनों ने डॉक्टर को चेकअप करा कर अपने गांव वापस ले आए. परिजनों ने बताया कि रास्ते में ही अपने आप पेंचकस ऑटोमेटिक बाहर निकल आय़ा. अब बच्चा और उसकी आंख भी सुरक्षित है.
अस्पताल प्रबंधन पर उठ रहा सवाल
अब बच्चे के परिजन शंकर पटले ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जिला अस्पताल छिंदवाड़ा में बच्चे के आंख में पेंचकस चला गया था. लेकिन डॉक्टरों ने बिना देखे ही उसे नागपुर रेफर कर दिया. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर अस्पताल प्रबंधन लापरवाही करने वाले डॉक्टरों पर अंकुश लगाने में क्यों नाकामयाब है. जब इस संदर्भ में छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के सीएमएचओ शिखर खुराना से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही इस बच्चे को अस्पताल लाया गया था और उसने अपनी आंख में खेलते-खेलते पेचकस डाल लिया था. डॉक्टरों ने बच्चे को नागपुर रेफर कर दिया था. इस मामले में डॉक्टर से बात कि तो डॉक्टर ने कहा कि पेंचकस कितने अंदर तक गया. इसका अंदाजा नहीं है. पेंचकस खींचने के बाद कोई ऐसी परिस्थिति न बन जाए इसलिए बच्चे को नागपुर रेफर किया गया. हालांकि बच्चे की आंखों की पूरी जांच की गई है.