Seat Analysis: ग्वालियर की डबरा विधानसभा सीट अंचल की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक है. इस सीट पर पिछले तीन बार से कांग्रेस का कब्जा है. यह सीट चर्चित इसलिए है, क्योंकि यहां भाजपा की पूर्व मंत्री इमरती देवी चुनाव लड़ती हैं. यह सीट उस वक्त काफी चर्चा में आई जब 2020 में सिंधिया समर्थक इमरती देवी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं
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MP Assembly Election: ग्वालियर की डबरा विधानसभा सीट अंचल की सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक है. इस सीट पर पिछले तीन बार से कांग्रेस का कब्जा है. यह सीट चर्चित इसलिए है, क्योंकि यहां भाजपा की पूर्व मंत्री इमरती देवी चुनाव लड़ती हैं. यह सीट उस वक्त काफी चर्चा में आई जब 2020 में सिंधिया समर्थक इमरती देवी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं और उपचुनाव में अपने प्रतिद्वंदी और रिश्तेदार सुरेश राजे से चुनाव हार गईं.
2020 में हुए आखिरी उपचुनाव की बात करें तो यहां भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सुरेश राजे ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं इमरती देवी को दिलचस्प मुकाबले में हरा दिया. इस चुनाव में राजे को 75,689 वोट मिले, जबकि इमरती देवी को 68,056 वोट मिले. इस तरह इमरती देवी 7,633 वोटों से चुनाव हार गईं. यहां मुख्य मुकाबले सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच ही था. तीसरे नंबर रहे बीएसपी उम्मीदवार को महज 4,883 वोट मिले.
सीट का राजनीतिक इतिहास
डबरा विधानसभा सीट पर 2008 से कांग्रेस का कब्जा है. 2020 की हार को छोड़ दिया जाए तो इमरती देवी ने कांग्रेस के टिकट पर 2018, 2013 और 2008 में जीत दर्ज की थी. इससे पहले यह सीट भाजपा के पास था. यहां से भाजपा के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा 2003 और 1998 में चुनाव जीत चुके हैं. परिसीमन में यह सीट आरक्षित हो गई और यह सीट अनुसूचित जाति के कोटे में चली गई.
वोटों के आंकड़े
डबरा विधानसभा में वोटर्स की बात की जाए तो 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 2.34 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. इसमें 1. 24 पुरुष वोटर्स और 1.10 से ज्यादा महिला वोटर्स हैं. जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्रामीण क्षेत्र वाली सीट पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के साथ-साथ ब्राह्मण, साहू, कुशवाह, बघेल, रावत, वैश्य, मुस्लिम, गुर्जर और किरार समाज निर्णायक स्थिति में हैं.
सीट का राजनीतिक इतिहास
1977 से अस्तित्व में आई डबरा विधानसभा सीट पर 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के गोपीराम को जीत मिली थी. 1980 में भाजपा के जगन्नाथ सिंह जीते थे. 1985 में कांग्रेस के नरसिंह राव पवार जीते थे. 1990 ने BJP के डॉ नरोत्तम मिश्रा जीते थे. हालांकि, 1993 में बसपा के जवाहर सिंह रावत जीत गए.