MP उपचुनाव में 2015 दोहराने की तैयारी में कांग्रेस, पायलट करेंगे प्रचार, लेकिन दूर क्यों हैं महाराज?
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MP उपचुनाव में 2015 दोहराने की तैयारी में कांग्रेस, पायलट करेंगे प्रचार, लेकिन दूर क्यों हैं महाराज?

खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस इस बार पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. खंडवा में कांग्रेस के लिए सचिन पायलट भी प्रचार करने आ रहे हैं. 

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)

भोपालः मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस (congress) और बीजेपी (bjp) जीत के लिए अपना अपना जोर लगा रहे हैं, खास बात यह है कि खंडवा लोकसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सबब बनी हुई है, ऐसे में दोनों दल यहां कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. उपचुनावों के बीच कांग्रेस ने एक मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) के बचपन के दोस्त और राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट (sachin pilot) को स्टार प्रचारक के तौर पर उपचुनाव में प्रचार के लिए उतारा है. पायलट जल्द ही कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करेंगे. खास बात यह है कि बीजेपी ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्टार प्रचारक बनाया है. लेकिन अब तक वह चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचे हैं. 

खंडवा में प्रचार करेंगे सचिन पायलट 
दरअसल, खंडवा (khandwa by election) लोकसभा सीट पर कांग्रेस इस बार पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. ऐसे में अब स्टार प्रचारक के तौर पर सचिन पायलट खंडवा में 27 अक्टूबर को खंडवा में कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण सिंह पुरनी के पक्ष में प्रचार करेंगे. बताया जा रहा है कि पायलट खंडवा लोकसभा क्षेत्र में जनसभा के साथ रोड शो भी कर सकते हैं. सचिन पायलट के प्रचार को लेकर कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने दावा किया कि पायलट के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने से कांग्रेस मजबूत होगी. 

सिंधिया के गढ़ में पायलट ने किया था प्रचार 
दरअसल, यह कोई पहला मौका नहीं है जब सचिन पायलट कांग्रेस के लिए प्रचार करने के लिए पहली बार मध्य प्रदेश आ रहे हो, इससे पहले जब प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. तब भी सचिन पायलट प्रचार के लिए मध्य प्रदेश पहुंचे थे. खास बात यह है कि उस वक्त पायलट ने सिंधिया के गढ़ ग्वालियर चंबल में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया था. पायलट के प्रचार से गुर्जर वोटरों को लुभाने में कांग्रेस को मदद भी मिली थी. उस वक्त जब सचिन पायलट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने पर सवाल किया गया था  उन्होंने पायलट ने कहा था कि ''हर व्यक्ति स्वतंत्र है अपना निर्णय लेने के लिए. किस विचारधारा में उनको रहना है, मैं अपनी चॉइस करता हूं कोई अपनी और चॉइस करता है, और सबको ये छूट होनी भी चाहिए. अंत में जनता को फैसला करना है कि वो निर्णय सही थे या गलत थे.'' 

खास बात यह है कि प्रदेश की चार सीटों पर रहे उपचुनावों के परिणामों से प्रदेश की शिवराज सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. लेकिन फिर भी यह उपचुनाव महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि इन उपचुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी इन चुनावों में पूरा जोर लगा रही है. माना जा रहा है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने की ध्वनि इन उपचुनावों से निकलेगी. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस इन चुनावों में अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं. 

बचपन के दोस्त है सिंधिया और पायलट 
खास बात यह भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट बचपन के दोस्त हैं. दोनों ने राजनीतिक पारी कांग्रेस से शुरु की थी और एक साथ यूपीए सरकार में मंत्री भी बने थे. कांग्रेस में रहते हुए दोनों  सिंधिया और पायलट राहुल गांधी के भी बेहद करीबी लोगों में शुमार रहे हैं. हालांकि मध्य प्रदेश में पार्टी से बगावत कर सिंधिया ने कमलनाथ सरकार गिराई थी और उसके बाद भाजपा में शामिल होकर पहले राज्यसभा पहुंचे और अब मोदी सरकार में मंत्री के साथ-साथ बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी बन चुके हैं. गौरतलब है कि जब राजस्थान में सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत की थी तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पायलट के समर्थन में कई ट्वीट किए थे. लेकिन बाद में पायलट की सुलह हो गई और वह कांग्रेस में ही है. 

2015 में पायलट ने उपचुनाव में किया था प्रचार 
यह भी एक बड़ा संयोग है कि नवंबर 2015 में, कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ में रतलाम लोकसभा चुनाव जीता था, जहां पायलट ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस के लिए प्रचार किया था. कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने जीत के बाद सचिन पायलट को एक धन्यवाद नोट भी भेजा था. इस बार भी चुनाव खंडवा सीट पर हो रहा है जहां कांग्रेस 2015 की कहानी दौहारने की कोशिश में लगी है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस ने सचिन पायलट को प्रचार के लिए उतारा है. 

अरुण यादव भी रहेंगे मौजूद 
दरअसल, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजस्थान में सचिन पायलट और मध्य प्रदेश में अरुण यादव कांग्रेस के दो ऐसे नेता है जो पिछले कुछ समय से अपनी ही पार्टी से नाराज माने जा रहे हैं. कई बार बायनबाजी से उन्होंने पार्टी के फैसलों पर सवाल भी उठाए. लेकिन दोनों नेता आखिर में पार्टी के पक्ष में प्रचार करने में जुटे हुए हैं. पायलट के प्रचार के दौरान अरुण यादव भी मौजूद रहेंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस दोनों नेताओं के जरिए पार्टी में कई सदेश देना चाहती है. 

सिंधिया भी बीजेपी के स्टार प्रचारक 
उपचुनाव के लिए बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी स्टार प्रचारक बनाया है. लेकिन सिंधिया अब तक प्रचार में दिखे नहीं हैं, बड़ा सवाल यह भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया इस दौरान मध्य प्रदेश के दौरे पर भी पहुंचे. हालांकि वह अपने क्षेत्र ग्वालियर चंबल में पहुंचे थे. लेकिन अब तक उन्होंने उपचुनाव में प्रचार नहीं किया है. भले ही आने वाले समय में सिंधिया बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने के लिए पहुंचे. लेकिन कांग्रेस ने सिंधिया से पहले ही पायलट को एमपी के रण में उतारकर एक बड़ा दांव खेला है. 

28 सीटों पर उपचुनाव में हिट रही थी सिंधिया-शिवराज की जोड़ी 
इससे पहले जब प्रदेश की सत्ता की लड़ाई के लिए 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, तब सिंधिया और सीएम शिवराज की जोड़ी बीजेपी के लिए लकी साबित हुई थी. पार्टी ने 28 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज सत्ता बरकारर रखी थी. उस दौरान सिंधिया ने उनकी और सीएम शिवराज की जोड़ी को शिव-ज्योति एक्सप्रेस नाम दिया था. लेकिन चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बतोर स्टार प्रचारक सिंधिया अब तक प्रचार में नजर नहीं आए हैं. दमोह उपचुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय तक प्रचार में नहीं पहुंचे थे. हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी राहुल लोधी के पक्ष में प्रचार किया था. 

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