MP नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवराज सरकार, आरक्षण पर फंसा है पेंच!
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MP नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवराज सरकार, आरक्षण पर फंसा है पेंच!

याचिका में मानवर्द्धन सिंह ने कहा था कि दो महापौर और 79 नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं किया गया है.

फाइल फोटो

प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव पर जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सरकार द्वारा दायर स्पेशल लीव याचिका (एसएलपी) को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और याचिकाकर्ता मानवेंद्र सिंह तोमर को नोटिस जारी जवाब मांगा है. 

हाईकोर्ट ने लगाया है स्टे
बता दें कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए सरकार ने जो आरक्षण व्यवस्था तय की थी, उसके खिलाफ अधिवक्ता मानवर्द्धन सिंह तोमर ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की थी. इस याचिका में मानवर्द्धन सिंह ने कहा था कि दो महापौर और 79 नगर पालिका अध्यक्ष पद पर रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं किया गया है और इन सीटों पर लंबे समय से चले आ रहे आरक्षण को ही फिर से लागू कर दिया गया है. इस याचिका पर ग्वालियर बेंच ने भी माना कि रोटेशन प्रणाली का पालन होना चाहिए था और इस आधार पर हाईकोर्ट ने चुनाव पर स्टे कर दिया. 

हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट का रुख किया. जहां सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छे 243 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 के तहत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर आरक्षण का अधिकार सरकार को दिया गया है. ऐसा नहीं है कि एक पद जो आरक्षित हो गया है, उसे दोबारा आरक्षित नहीं किया जा सकता. हालांकि जबलपुर हाईकोर्ट ने भी ग्वालियर बेंच के स्टे के फैसले को बरकरार रखा था. 

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