ऐसे कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था? जब एक ही क्लास में बैठ कर पढ़ रहे तीसरी, चौथी और पांचवी के बच्चे
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh1482612

ऐसे कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था? जब एक ही क्लास में बैठ कर पढ़ रहे तीसरी, चौथी और पांचवी के बच्चे

प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के भरोसे एक ही क्लास में 3 अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा हैं. टाट पट्टी पर पहली लाइन में कक्षा पांचवी के स्टूडेंट बैठे हैं.

ऐसे कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था? जब एक ही क्लास में बैठ कर पढ़ रहे तीसरी, चौथी और पांचवी के बच्चे

आकाश द्विवेदी/भोपाल: प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के भरोसे एक ही क्लास में 3 अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा हैं. टाट पट्टी पर पहली लाइन में कक्षा पांचवी के स्टूडेंट बैठे हैं. जबकि दूसरी लाइन में चौथी और तीसरी लाइन में कक्षा तीसरी के बच्चे बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं. इन सब को पढ़ाने वाला एक ही शिक्षक है. सवाल यह है कि एक ही क्लास में 3 कक्षा के विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाया जाएगा? 

इन बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक बताते हैं कि शिक्षकों को पढ़ाने के अलावा अतिरिक्त काम सौंप दिए गए हैं. जिसके कारण शिक्षक स्कूल आ ही नहीं पाते है इसलिए एक साथ तीन क्लास के बच्चों को पढ़ाना पड़ता है.

स्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, 75 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते!

पढ़ाने का मौका नहीं मिल रहा
18 स्कूलों की मॉनिटरिंग करने वाले क्लस्टर एकेडमिक कॉर्डिनेटर (CAC) सुशील भार्गव बताते हैं कि जिन 18 स्कूलों की वह मॉनिटरिंग कर रहे हैं. लगभग हर जगह यही स्थिति बनी हुई है.  शिक्षक चाहते हैं कि वह बच्चों को पढ़ाएं लेकिन उन्हें पढ़ाने का मौका ही नहीं मिल रहा है.

शिक्षक नहीं पहुंच रहे
वहीं सरकारी शिक्षकों के संगठन शासकीय शिक्षक संघ का कहना है कि अतिरिक्त भार के चलते शिक्षक स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं. जिसके कारण भोपाल की रैंकिंग नहीं सुधर रही है. उन्होंने बताया कि भोपाल जैसे शहरों में विभाग के अलग-अलग बड़े कार्यक्रम होते हैं. उसमें भी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती है. एक शिक्षक 3 कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है, असल में ये पढाई नहीं हो रही है.

75 फीसदी बच्चे शब्द नहीं पढ़ पाते
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल इस रिपोर्ट में पता चला है कि प्रदेश के स्कूलों में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों में 75 फीसदी बच्चे शब्द नहीं पढ़ पाते. साथ ही 85 फीसदी बच्चे वाक्य नहीं बना पाते! प्रदेश के हर ब्लॉक में पहली बार सर्वे कराया गया. इस सर्वे के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. 

 

स्कूलों में जब यह आलम होंगे. एक साथ जब 3 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाया जाएगा तो कैसे सुधरेगी रैंकिंग और शिक्षा व्यवस्था ?

Trending news