MP News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सुमावली (Sumawali) विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा (Congress MLA Ajab Singh Kushwaha) की विधायकी पर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने फैसला सुना दिया है. अदालत से फिलहाल के लिए MLA को राहत मिल गई है.
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MP News: जबलपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सुमावली (Sumawali) विधानसभा सीट के विधायक अजब सिंह कुशवाहा (Congress MLA Ajab Singh Kushwaha) को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) से बड़ी राहत मिली है. सुमावली सीट के कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा के विधायकी जाने का खतरा भी फिलहाल टल गया है. हाईकोर्ट ने जमीन फर्जीवाड़े मामले में ग्वालियर की विशेष न्यायालय (MP MLA Court) के आदेश पर रोक लगा दी है. हालांकि, उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से किसी भी तरह की राहत नहीं मिली है.
अधिवक्ता शशांक शेखर ने बताया कि जस्टिस संजय यादव की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है. शशांक शेखर ने कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि जिस जमीन मामले में विधायक को फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा है. उस जमीन से उनका कोई भी सरोकार नहीं है. कथित जमीन विधायक की पत्नी शीला कुशवाहा के नाम पर थी. सेल डीड की गवाही में भी विधायक का नाम नहीं था.
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क्या था मामला?
सिंधिया समर्थक ऐदल सिंह कंसाना के भाजपा में शामिल होने के बाद सुमावली में उपचुनाव हुए. इसमें कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह ने ऐदल सिंह को हरा दिया. इसके बाद ही उनपर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे. इस मामले में ग्वालियर के महाराजपुरा थाने शिकायत दर्ज हुई. आरोप सरकारी जमीन को लगभग 75 लाख में बेचने का लगा. शिकायत कर्ता ने आरोप लगाया कि अजब सिंह ने जमीन उन्हें बेची थी, मगर कब्जा नहीं दिलाया.
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मामला ग्वालियर की एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में पहुंचा तो कोर्ट ने अजब सिंह, उनकी पत्नी शीला सिंह और एक अन्य को दो-दो साल की सजा सुनाई. इसी सजा के खिलाफ अजब सिंह हाई कोर्ट पहुंचे थे. जहां से उन्हे राहत मिल गई है. हालांकि पत्नी को कोई राहत नहीं मिली.
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क्या है विधायकी जाने का नियम?
नियमों के अनुसार अगर किसी विधायक को 2 साल या उससे अधिक साल के लिए सजा सुनाई जाती है तो उसकी विधानसभा सदस्यता चली जाएगा. इतना ही नहीं वह व्यक्ति अगले 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से भी वंचित यानी अयोग्य हो जाएगा. इसी कारण अजब सिंह MP MLA कोर्ट के फैसले से परेशान थे और उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी.
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