MP News: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के अंतर्गत आने वाले सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक सत्ता की हनक में बुरी तरह फंस गए हैं. उन्हें कोर्ट ने विभिन्न मामलों में दोषी करार दिया है, जिसके बाद से उनपर गिरफ्तारी की तलवार अंटक रही है.
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MP News: अजय मिश्रा/रीवा। सत्ता की ठनक में पावर दिखाना रीवा के सेमरिया विधानसभा विधायक केपी त्रिपाठी को महंगा पड़ गया है. तीन माह एक पुराने मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए पेश होने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने पुलिस को विधायक के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं. अब केपी त्रिपाठी पर गिरफ्तारी की तलवार अंटक रही है. अगर वो कोर्ट के आदेश का पालन कर अपना पक्ष नहीं रखते तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
क्या था मामला?
तीन महीने पूर्व सेमरिया विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी और सिरमौर जनपद पंचायत सीईओ एसपी मिश्रा के बीच फोन पर हुई तू तू मैं मैं का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. ऑडियो वायरल होने के चंद घंटों के भीतर जनपद पंचायत के सीईओ एसपी मिश्रा के ऊपर प्राणघातक हमला हो गया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं थी और कई दिनों तक वह अस्पताल में भर्ती रहे.
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मारपीट के मामले में 3 आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. कुछ अन्य आरोपी इसके बाद भी फरार चल रहे थे. सीईओ के पक्ष से न्यायालय में अधिवक्ता राजेश सिंह ने ऑडियो वायरल होने के कारण बीजेपी विधायक को दोषी बनाए जाने की मांग की और परिवाद दाखिल किया था. इसपर कोर्ट ने सुनाई करते हुए विधायक को दोषी माना और मामला दर्ज करने का आदेश दिया.
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पेश नहीं होने पर गिरफ्तारी संभव
न्यायालय के द्वारा विधायक के खिलाफ 341, 342, 353, 332,333 सहित अन्य कई धाराओं पर प्रकरण पंजीबद्ध करने का आदेश दिया गया है. इसके साथ ही उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने का नोटिस भेजा गया है. अब माना जा रहा है कि केपी त्रिपाठी कोर्ट के सामने पेश होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है.
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दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट पहुंचे थे सीईओ के वकील
जानकारी के मुताबिक, जनपद सीईओ के साथ हुई मारपीट के बाद गंभीर अवस्था में रहते हुए उन्होंने बीजेपी विधायक केपी त्रिपाठी के साथ उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस को बयान दिया था. इसके बाद पुलिस के द्वारा भाजपा के एक मंडल अध्यक्ष सहित 2 अन्य विधायक के करीबियों को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि विधायक के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई थी, जिसके बाद सीईओ के वकील मामले को लेकर कोर्ट में पहुंचे थे.