MP पंचायत चुनाव 2022: विवेक तन्खा के समर्थन में उतरे कमलनाथ, OBC आरक्षण पर बताई कांग्रेस की मंशा
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MP पंचायत चुनाव 2022: विवेक तन्खा के समर्थन में उतरे कमलनाथ, OBC आरक्षण पर बताई कांग्रेस की मंशा

कमलनाथ ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का समर्थन करते हुए ओबीसी आरक्षण को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है. 

कमलनाथ, पूर्व सीएम, मध्य प्रदेश

भोपालः मध्य प्रदेश के पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर बीजेपी और कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. आज से शुरू हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर कई प्रश्न लगाए गए हैं. वहीं कल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तन्खा ने सीएम शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को मानहानि का नोटिस भेजा है. जिसके बाद बीजेपी विवेक तन्खा को टारगेट कर रही है. ऐसे में अब पूर्व सीएम कमलनाथ तन्खा के समर्थन में उतरे हैं. 

दरअसल, बीजेपी विवेक तन्खा पर पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को खत्म करवाने का आरोप लगा रही है, जिस पर बीजेपी के नेता लगातार उन पर निशाना साध रहे थे. ऐसे में कल रात विवेक तन्खा ने अधिवक्ता शशांक शेखर के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपए का मानहानि का नोटिस भेजा है. विवेक तन्खा ने कहा कि उन पर बेवजह आरोप लगाए जा रहे है. 

रोटेशन और परिसीमन पर याचिका लगाई थी 
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विवेक तन्खा का समर्थन करते हुए कहा कि परिसीमन, रोटेशन और ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव हो रहे हैं. विवेक तन्खा जी ने रोटेशन और परिसीमन पर याचिका लगाई थी, ओबीसी पर नहीं. सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकीलों और चुनाव आयोग के वकीलों ने ओबीसी आरक्षण रद्द होने का विरोध तक नहीं किया.''

कमलनाथ ने कहा कि ''कांग्रेस हमेशा ओबीसी वर्ग के लिए सोचती थी. जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब भी हमने ओबीसी के लिए कानून बनाया था, जब हमारी सरकार थी तब हमने ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का कानून लाया था, लेकिन इस कानून का श्रेय लेने की कोशिश बीजेपी कर रही है. कांग्रेस की सरकार में जब यह कानून पास हो रहा था, तब बीजेपी इसका समर्थन नहीं कर रही थी. लेकिन बाद में इसका श्रेय ले रही है.''

कमलनाथ ने कहा कि पहले तो इस सरकार ने पंचायत चुनाव डेढ़ साल तक टाला, बाद में जब चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू हुई तो न तो रोटेशन की पॉलिसी को फॉलो किया गया और न ही परिसीमन की प्रक्रिया की गई. जबकि संविधान के हिसाब से चुनाव के पहले रोटेशन और परिसमीन की प्रक्रिया होती है. लेकिन यह सरकार ऐसा कर ही नहीं रही थी. जिसके चलते कांग्रेस ने केवल रोटेशन और परिसमीन की प्रक्रिया के लिए याचिका लगाई थी. लेकिन जब आरक्षण का मुद्दा आया तब सरकारी वकीलों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया. 

बीजेपी झूठा प्रचार कर रही हैः कमलनाथ 
कमलनाथ ने कहा कि ''बीजेपी ने झूठा प्रचार शुरू किया कि है कि कांग्रेस के कारण आरक्षण रद्द हुआ, जबकि जबलपुर हाईकोर्ट में चार बार यह मामला आया पर सरकार के वकील नहीं उपस्थित हुये. मैं प्रदेश की जनता से अपील करता हूं कि वो याद रखें कि पिछड़े वर्ग, आदिवासी और दलितों की आवाज कांग्रेस ने ही उठाई है.'

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