MP Panchayat Election मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद अब अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद की तैयारियां चल रही हैं. आज प्रदेश में जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के लिए चुनाव होगा. ऐसे में बीजेपी ने गांव की सरकार बनाने के लिए अपने मंत्रियों को विधायकों को जिम्मेदारी सौंपी है.
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प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद अब अध्यक्ष पदों के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस जिलों में अपनी सरकार बनाने के लिए जुट गई है. इस बीच बीजेपी ने अपने सभी विधायकों और मंत्रियों को गांवों की सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी है. ऐसे में पार्टी के सभी दिग्गजों ने फिलहाल शहरों को छोड़कर गांवों में डेरा डाल लिया है. बीजेपी के तमाम दिग्गज जिलों में डटे हुए हैं.
बीजेपी नेताओं को सौंपी जिला अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी
दरअसल, जिला पंचायतों में अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. क्योंकि आज और कल जनपद पंचायतों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना है. ऐसे में भाजपा संगठन ने पार्टी समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने की जिम्मेदारी मंत्रियों के साथ साथ सीनियर विधायकों को सौंप दी है. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव शुक्रवार यानि 29 जुलाई को होना है
इन अंचलों पर बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस
बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस ग्वालियर-चंबल, विंध्य-महाकौशल और मालवा निमाड़ पर है. यहां बीजेपी की पूरी टीम एक्टिव हो चुकी है. बताया जा रहा है कि बीजेपी समर्थित जिला पंचायत सदस्यों और जनपद सदस्यों की बाड़ेबंदी भी की गई है. जहां मंत्री विधायक पल-पल की मॉनिटरिंग खुद कर रहे हैं.
100 से ज्यादा सदस्यों की बाड़ेबंदी
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के 100 से ज्यादा जिला पंचायत सदस्य और जनपद सदस्य प्रदेश से बाहर हैं. अंदेशा जताया जा रहा है कि अध्यक्ष चुनाव के पहले बीजेपी कांग्रेस इन सदस्यों को दूसरे प्रदेशों में ले गई हैं. कांग्रेस को राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर भरोसा है, तो भाजपा ने गुजरात और उत्तर प्रदेश की तरफ रुख किया है. माना जा रहा है कि इन सदस्यों की वापसी अब चुनाव के दिन ही होगी.
क्रॉस वोटिंग का डर
दरअसल, पंचायत चुनाव राजनीतिक सिंबल पर नहीं होते हैं. चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस अपने समर्थित प्रत्याशियों को उतारती है. ऐसे में जिले में अपना अध्यक्ष बनाने के लिए दोनों ही पार्टियों को ऐसे सदस्यों की जरुरत भी पड़ती है. जो दोनों राजनीतिक दलों से इतर होते हैं. इसके अलावा अपने-अपने समर्थित सदस्यों के बीच क्रॉस वोटिंग का डर भी रहता है. ऐसे में दोनों दल एक्टिव है.
खास बात यह है कि मंत्रियों से लेकर विधायकों-सांसदों ने तक ने यह पूरी जिम्मेदारी संभाली है. जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे सदस्यों ने भी पूरा जोर लगा रखा है. प्रदेश की राजनीति में ऐसा पहली बार देखा जा रहा है जब सदस्यों को दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है.
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