MP Urban Body Election 2022: बुंदेलखंड अंचल से आने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता के बेटे भाजपा छोड़ दी है, जिसे एमपी नगरीय निकाय चुनाव के बीच बीजेपी को बड़ा झटका माना जा रहा है. पूर्व मंत्री के बेटे के इस कदम का असर मध्य प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में भी पड़ सकता है.
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महेंद्र दुबे/दमोह। एमपी नगरीय निकाय चुनाव के बीच बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बुंदेलखंड अंचल से आने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता के बेटे ने पार्टी छोड़ी दी है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि फिलहाल वह क्या करेंगे इसकी जानकारी बाद में देंगे, लेकिन राजनीति में नए रास्ते तलाशेंगे. खास बात यह है कि पूर्व मंत्री के बेटे का यह कदम निकाय चुनाव पर भी असर डाल सकता है.
जयंत मलैया के बेटे ने छोड़ी पार्टी
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश में उठापटक का दौर जारी है, इस बीच भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है. बुंदेलखंड अंचल से आने वाले बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने भाजपा को अलविदा कह दिया है, सिद्धार्थ ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पार्टी से रिश्ते खत्म करने की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि वह बीजेपी छोड़ रहे हैं.
पार्टी ने किया था निलंबित
दरअसल, दमोह में बीते साल हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद सिद्धार्थ मलैया को पार्टी से भी निलंबित किया गया था. साल भर से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी पार्टी ने पूर्व वित्त मंत्री के बेटे को गंभीरता से नहीं लिया और वापसी की कोई पहल नहीं हुई, जबकि खुद सिद्धार्थ अलग-अलग तरीकों से अपनी ताकत दिखाते रहे. जब कोई संभावना नजर नहीं आई तो अब सिद्धार्थ ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ के साथ बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं के इस्तीफे की भी खबरे हैं, जिन्हें मलैया समर्थक बताया जा रहा है.
पिता के अपने रास्ते मेरे अपने रास्ते
मीडिया से बात करते हुए सिद्धार्थ मलैया ने कहा कि नियति को यही मंजूर था, पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है और वो शांत नही बैठ सकते. उनके पिता जयंत मलैया को भी उपचुनाव के बाद प्रदेश भाजपा ने नोटिस दिया था, लेकिन पार्टी में उन्हें फिर सम्मान मिला और हालिया नगरीय निकाय चुनाव की कमेटी में उन्हें रखा गया है, पिता के समर्थन के सवाल पर सिद्धार्थ का कहना है कि उनके पिता के अपने रास्ते हैं. उनका आशीर्वाद रहेगा पर शायद वो पार्टी लाइन से अलग न जाएं. लेकिन वह अपने लिए नए रास्ते तलाशेंगे. सिद्धार्थ ने संकेत दिए हैं कि नगरीय निकाय के अलावा 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में वो कूदेंगे, जिसकी भूमिका अलग अलग हो सकती है.
भाजपा का दावा पार्टी पर नहीं पड़ेगा कोई असर
वहीं दूसरी तरफ भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी का कहना है कि सिद्धार्थ ने पार्टी में वापसी के लिए साल भर में कोई कोशिश नहीं की और पार्टी अपनी लाइन पर काम करती है, फिर कार्रवाई के दायरे में कोई भी आये. उन्होंने शेष कार्यकर्ताओं को भी हिदायत दी है कि पार्टी लाइन से बाहर जाने वाले जो भी होंगे पार्टी उनपर कार्रवाई करेगी. सिद्धार्थ के इस्तीफे के बाद नगरीय निकाय चुनाव में असर के सवाल पर पार्टी जिलाध्यक्ष का कहना है कि भाजपा जिले में मजबूत है किसी के आने जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हालांकि अब सिद्धार्थ मलैया का अगला कदम क्या होगा वो किस दल का दामन थामेंगे इस पर उन्होंने कोई संकेत नहीं दिए हैं.
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता और सिद्धार्थ मलैया के पिता जयंत मलैया को कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन 2020 में राहुल सिंह लोधी ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली और वह बीजेपी की तरफ से उपचुनाव में उतरें, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त यह बात चर्चा में थी कि सिद्धार्थ ने पार्टी लाइन से हटकर काम किया था. जिससे बीजेपी की हार हुई और उन्हें पार्टी से भी बाहर कर दिया था.
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