Waqf Agricultural Land Auction: मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने अपनी आय बढ़ाने के लिए एक नई पहल शुरू की है. बोर्ड ने अपनी कब्जे वाली कृषि भूमि की खुली नीलामी करने का फैसला लिया है. यह नीलामी प्रक्रिया 11 जून से शुरू होगी और विभिन्न संभागों में अलग-अलग तारीखों पर होगी. इस पहल से वक्फ बोर्ड को अच्छी आय होने की उम्मीद है.
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Waqf Board Property News: मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की नई टीम लगातार नवाचार (innovation) की ओर आगे बढ़ रही है. बोर्ड ने अपने अल्प कार्यकाल में वक्फ संपत्तियों से अतिक्रमण हटाना, समितियों की व्यवस्थित कार्यप्रणाली और दागी वक्फ संपत्तियों से वसूली जैसे कई कदम उठाए हैं. इसी कड़ी में अब बोर्ड ने अपने कब्जे वाली कृषि भूमि की खुली नीलामी करने की पहल की है. विभिन्न संभागों की जमीन की यह नीलामी प्रक्रिया 11 जून से शुरू होगी.
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कब होगी नीलामी?
मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सांवर पटेल ने कहा कि वक्फ की आय बढ़ाने के इरादे से यह कदम उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बोर्ड के इतिहास में पहली बार की जा रही इस प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा जाएगा. इसमें संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड तय की गई नीलामी प्रक्रिया में विभिन्न संभागों लिए अलग-अलग तारीखों पर बोली लगाई जाएगी. डॉ. सांवर पटेल ने बताया कि जबलपुर संभाग की कृषि भूमि की नीलामी 11 जून, सागर और नर्मदापुरम की 12 जून को होगी. इसके बाद 13 जून को रीवा, शहडोल और भोपाल जिलों में नीलामी प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इसी प्रकार 14 जून को ग्वालियर एवं चंबल संभाग में और क्रमशः 15 एवं 16 जून को उज्जैन एवं इंदौर संभाग में मौजूद वक्फ की कृषि भूमि की नीलामी प्रक्रिया होगी.
मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सांवर पटेल के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास बड़ी मात्रा में कृषि भूमि है. इनके उचित उपयोग और लीज अधिनियम के प्रावधानों से किराये की आय बहुत अधिक हो सकती है. इसका उपयोग अच्छे कार्यों में किया जा सकता है.
नीलामी प्रक्रिया क्या पड़ेगा असर?
बता दें कि मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा सीधे मुख्यालय से कृषि भूमि की नीलामी प्रक्रिया का सीधा असर प्रदेश भर की समितियों पर पड़ सकता है. इस नई पहल से उनकी आय पर भी असर पड़ेगा. अब तक चली आ रही व्यवस्था के तहत जिला समितियों या स्थानीय समितियों के तहत इन संपत्तियों से होने वाली आय पर उनका अधिकार होता था. नियमानुसार उन्हें मात्र सात प्रतिशत राशि ही वक्फ बोर्ड को जमा करानी पड़ती थी. वक्फ विशेषज्ञों का कहना है कि नई व्यवस्था को लेकर वक्फ की मंशा पर भी असर पड़ेगा. उनका कहना है कि बोर्ड मुख्यालय द्वारा संचालित व्यवस्था में इन वक्फ संपत्तियों का सीधा लाभ उन लोगों को नहीं मिलेगा जिनके लिए वक्फ ने अपनी इच्छा जाहिर की होगी.
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