MP News: बच्चों के साथ किया ये काम तो दर्ज होगा गैर इरादतन हत्या का केस, जुर्माना भी लगेगा
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MP News: बच्चों के साथ किया ये काम तो दर्ज होगा गैर इरादतन हत्या का केस, जुर्माना भी लगेगा

Madhya Pradesh News: अब बच्चों को दागने पर गैर इरादतन हत्या का केस लगेगा. इतना ही नहीं आरोपियों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और 3 साल की कैद की सजा भी होगी. जानें क्या है पहल.

MP News: बच्चों के साथ किया ये काम तो दर्ज होगा गैर इरादतन हत्या का केस, जुर्माना भी लगेगा

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में अंधविश्वास के चलते जान गंवा रहे बच्चों के लिए अब प्रशासन ने नया प्लान तैयार किया है.  दागना कुप्रथा को लेकर जिला प्रशासन एवं एडीजी डीसी सागर ने एक SOP तैयार की है, जिसमें दागने वाले और उनके पास बच्चों को लेकर जाने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की बात की गई है. यह कानून शहडोल संभाग में लागू होगा. 

कलेक्टर वंदना वैद्य ने बताया कि बच्चों को दागने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा और 3 साल की सजा होगी. साथ ही आईपीसी 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा. शहडोल संभाग में दागना कुप्रथा के मामले लगातार आ रहे थे. इसमें बच्चों की तबीयत खराब होने पर गर्म सलाखों से दागा जाता है. इस क्रिया में कुछ बच्चों की मौत भी हो गई थी. इसी को देखते हुए कलेक्टर शहडोल वंदना वैद्य ने एडीजीडीसी सागर से बात करते हुए एक SOP तैयार किया. 

क्या बोलीं कलेक्टर?
कलेक्टर वंदना वैद्य ने बताया कि जिले में 37 गांव ऐसे हैं जहां पर मामले पिछले दिनों आए थे. उनको चिन्हित कर वहां पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है और स्वयं कलेक्टर जाकर लोगों से इस विषय में चर्चा कर रही हैं. इस अंधविश्वास के खेल को लेकर कलेक्टर बताती हैं कि यह एक अंधविश्वास है ऐसा कुछ नहीं होता. बच्चों को इलाज हॉस्पिटल में करना चाहिए. दागने से बच्चों की मौत हो रही है. आप लोग जागरूक हो और हमारा सहयोग करिए गांव गांव जा जाकर कलेक्टर इस अभियान को मजबूती दे रही है. 

क्या होता है दागना?
मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुत इलाके में दागना कुप्रथा बच्चों के लिए अभिशाप बन गई है. आदिवासी इलाकों में कई बार बीमारी होने पर बच्चों को इलाज दागकर किया जाता है. दागने के लिए कोई चूड़ी से दागता है तो कोई हंसिया से और कभी-कभी अगरबत्ती या नीम की सीक का भी इस्तेमाल होता है. इसी दागना कुप्रथा की वजह से कई बार बच्चों की मौत तक हो जाती है और वे कई दिनों तक अस्पताल में तड़पते रहते हैं.

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