Advertisement
trendingPhotos/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh2059702
photoDetails1mpcg

Ayodhya Ram Mandir: दतिया में रखें हैं प्रभुराम के वस्त्र, 6 दिसंबर 1992 को रामलला ने पहने थे ये कपड़े

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. आइये इससे पहले देखें वो वस्त्र जो कारसेवा के दिन भगवान राम ने पहने थे और दाने उस दिन का स्टोरी.

1/7

अब वह 22 जनवरी को हो रहे मंदिर निर्माण के साथ रामलला की स्थापना से वह बहुत ही भावुक है. उनका देशवासियों के साथ-साथ स्वप्न साकार होने की बात कह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कह रहे हैं.

2/7

सुंदर गोस्वामी अपने परिवार में तीन बहनों में एक भाई है तथा उनके स्वयं 7 संताने हैं जिनमें छह लड़की एक लड़का है इनके ऊपर रामलला के साथ अपने परिवार की भी बड़ी जिम्मेदारी बहुत थी. लेकिन, यह परिवार को छोड़कर सिर्फ रामकाज में लगे रहते थे और पूरे जिले में प्रचार प्रसार और रथ चलाकर ले जाते थे उन्होंने अयोध्या में रामलला के लिए मजदूरी भी की थी और लगभग 1 साल तक वह अयोध्या में रहे में रहे थे.

3/7

सुंदर गोस्वामी बचपन से ही राम भक्त और हिंदूवादी विचारधारा के हैं. महीनों महिनो तक उन्होंने अपने परिवार को छोड़ अयोध्या में कार्य सेवा की और दतिया से कई बार कार्य सेवकों को ले जाकर ढांचा हटाने की कोशिश की आखरी बार में वह सफल रहे. एक बार तो उनके परिवार को उनके मरने तक की जानकारी मिली थी तब उनकी पत्नी भी बेसुध हो गई थीं.

4/7

दतिया वालों का सौभाग्य यही भी है कि हमारे साथ कार्य सेवकों ने स्वयं रामलला की मूर्ति को अपने हाथों से स्पर्श कर विराजमान करवाया था. जिसमें दतिया के प्रमोद झां ने भगवान के वस्त्र उतार कर नवीन वस्त्र पहनाए. उस समय की रामलला के उतरी (वस्त्र) पोशाक सुंदर गोस्वामी व प्रमोद झा के साथ दतिया आ गई थे. जो अभी सुरक्षित है वह बहुत ही भावुक हो रहे थे। लेकिन उसे समय के रामलाल के वस्त्रों के आप दर्शन कर सकते हैं.

5/7

नारा बदलने से कार सेवकों में जोश आ गया और अन्य कार्य सेवकों के साथ वह भी अयोध्या के मंदिर में पहुंच गए. दतिया की टोली किसी से पीछे नहीं थी इसका नेतृत्व सुंदर गोस्वामी कर रहे थे उन्होंने बताया मंदिर की सुरक्षा के लिए लगाई रेलिंग हम लोगों के औजार बन गए थे और फिर क्या था पल भर में ढांचे को ढहा दिया.

6/7

6 दिसंबर 1992 जब रामलला के ऊपर बना विवादित ढांचा ढहाया गया था. इस कार्य सेवा में दतिया जिले के तत्कालीन बजरंग दल के संयोजक सुंदर गोस्वामी थे. सुंदर गोस्वामी ने बताया विश्व हिन्दू परिषद के अधिकारियों की बैठक में कुछ निर्णय हुए. इस बैठक में जयभान सिंह पवैया शामिल थे. जब कार्य सेवको ने सुंदर गोस्वामी से पूछा क्या निर्णय हुआ था तो गोस्वामी ने बैठक में का नारा 'सरयू नदी से एक मुट्ठी बालू लाना है' रामलला मंदिर में ले जाना है. नारा बदल कर 'बालू की मुट्ठी तो एक बहाना है ढांचे को गिरना है' कर दिया.

7/7

22 जनवरी को अयोध्या में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. आइये इससे पहले देखें वो वस्त्र जो कारसेवा के दिन भगवान राम ने पहने थे और दाने उस दिन का स्टोरी.