भारत में आमों को 'फलों का राजा' कहा जाता है. भारतीय आमों का स्वाद पूरे दुनिया में फेमस है. भारत में आम की लगभग 1500 किस्में उगाई जाती हैं. प्रत्येक किस्म का एक अलग स्वाद, आकार और रंग होता है. भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में आम की अलग-अलग किस्में पाई जाती हैं. वहीं मध्य प्रदेश के रीवा में भी आम की तरह-तरह की किस्में पाई जाती हैं. यहां का अनोखा और दुर्लभ आम देश सहित पूरे दुनिया में फेमस है. बता दें कि रीवा में अकेले आम की 237 किस्में पाई जाती हैं. आइए जानते हैं भारत के कुछ मशहूर आमों के बारे में...
यह आम खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है. लेकिन इसमें थोड़ी सी खटास होती है. इसकी सुगंध मुंह में काफी लंबे समय तक रहती है. यह बाहर से लाल और अंदर से पीले रंग का होता है.
यह मध्य प्रदेश के रीवा में पाया जानें वाला एक विशिष्ट किस्म का आम है. इसका स्वाद और सुगंध आम की अन्य किस्मों से बेहतर है. बता दें कि यह रीवा के सीमित क्षेत्र में पाया जाता है. यह आम अब देश के अलावा विदेशों में भी लोगों को दीवाना बना चुका है. इस आम को जीआई टैग भी मिल गया है.
रत्नागिरि आम भारत में पाए जाने वाले आमों की सबसे अच्छी किस्मों में से एक है. इसके एक सिरे पर लाल रंग होता है. इस आम का वजन 150 से 300 ग्राम के बीच होता है. यह सबसे महंगा आम होता है. यह रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और कोंकण में पाया जाता है.
यह उत्तर भारत और बिहार का लोकप्रिय आम है. इस आम के बारे में बताया जाता है कि इसे शेर शाह सूरी ने अपने शासनकाल के दौरान सोलहवीं शताब्दी में लगवाया था. यह आम बहुत मीठा होता है. यह बाहर से पीले रंग के होते हैं.
आम के रसपुरी किस्म को आमों की रानी के रूप में जाना जाता है. यह आम अंडाकार होता है. इसकी लंबाई 4 से 6 इंच होती है. यह कर्नाटक के मैसूर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है.
आमों में दशहरी आम की अपनी अलग ही विशेषता है. इस आम का उत्पादन सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में होता है. यूपी के मलिहाबाद को दशहरी आमों का स्वर्ग कहा जाता है. यह आम बहुत स्वादिष्ट होता है.
तोतापुरी आम का आकार तोते की चोंच की तरह ही होता है. यह लाइट और हरे रंग का होता है. इस आम का स्वाद अन्य आमों की तरह स्वादिष्ट नहीं होता है. लेकिन सलाद और आचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
आम के रसपुरी किस्म को आमों की रानी के रूप में जाना जाता है. यह आम अंडाकार होता है. इसकी लंबाई 4 से 6 इंच होती है. यह कर्नाटक के मैसूर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है.
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