Tribal Museum in Bhopal: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आदिवासी म्यूजियम स्थित है. इस म्यूजियम की खास बात ये है कि यहां आदिवासी से जुड़ी सभी ओरिजीनल हैं. ये प्रदेश की 43 जनजातियों के इतिहास के दर्शाता है.
मध्य प्रदेश आपने अलग-अलग जनजातियों के लिए प्रसिद्ध है. प्रदेश हमेशा के कई जनजातियों का घर रहा है. प्रदेश में मुख्य जनजातीय समूह भील, गोंड, कोल और कोरकू, सहरिया, बैगा, भारिया, सौर और परधान हैं, इनके अलावा और भी अन्य जनजातीय समूह प्रदेश में हैं.
अगर आप मध्य प्रदेश के सभी जनजातियों के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपके लिए आदिवासी म्यूजियम बेहद सही जगह है. यहां आपको प्रदेश के कई जनजातियों के इतिहास और उनके जीवनशैली के बारे में पता चलता है.
आदिवासी म्यूजियम राजधानी भोपाल में है. भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित राजीव गांधी भवन में संचालित आदिम जाति संस्थान के अंदर बनी हुई है. इस म्यूजियम को देखकर ये साफ पता चलता है कि क्यों मध्य प्रदेश के जनजातीय प्रधान प्रदेश कहा जाता है.
भोपाल के इस आदिवासी म्यूजियम में कुल 4 रूम और एक गैलरी हैं. म्यूजियम में मध्य प्रदेश में रहने वाले सभी 43 जनजातियों के इतिहास से जुड़ी सामग्री को यहां रखा गया है.
आदिवासी म्यूजियम के वर्ष 1965 में छिंदवाड़ा से भोपाल लाया गया था. म्यूजियम में 1954 से जनजातियों से जुड़ी तमाम सामग्री प्रदर्शित की गई हैं.
मध्य प्रदेश की जनजातियों की सांस्कृतिक परम्पराओं से संबंधित चीजें व सामाजिक चीजें का कलेक्शन आदिवासी म्यूजियम में आपको देखने को मिलेगा. यहां चित्रकला, वाद्ययंत्र, आभूषण, देव-देवता, वस्त्र विन्यास, पारम्परिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली वन औषधियां भी है.
आदिवासी म्यूजियम में एक बड़ी से लाइब्रेरी है, इसमें 25 हजार किताबें हैं. म्यूजियम में रखी वस्तुओं को देखकर ये समझा जा सकता है कि उस समय के तत्कालीन परिस्थितियों में कला कौशल व जीवन शैली कैसी थी.
आदिवासी म्यूजियम सोमवार से शनिवार खुला रहता है. सरकारी अवकाश और रविवार के दिन म्यूजियम बंद रहता है. म्यूजियम में जाने का समय सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक का है.
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