कूनो में प्रोजेक्ट चीता के दो साल पूरे, 70 साल बाद भारत में चीतों के पुनर्जन्म पर शॉर्ट फिल्म हुई रिलीज
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कूनो में प्रोजेक्ट चीता के दो साल पूरे, 70 साल बाद भारत में चीतों के पुनर्जन्म पर शॉर्ट फिल्म हुई रिलीज

Project Cheetah: मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता के तहत लाए गए चीतों के बेमिसाल दो साल पूरे हो गए हैं. 70 साल बाद भारत में दोबारा चीतों के पुनर्जन्म और बसाहट पर कूनो नेशनल पार्क और एमपी टाइगर फाउंडेशन समिति द्वारा शॉर्ट फिल्म रिलीज की गई है.

kuno rise of cheetah

Kuno Rise Of Cheetah Short Film: आज से दो साल पहले 17 सितंबर 2022 को भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा देश में बसाया गया.  या यूं कहा जाए कि 70 साल बाद भारत में चीतों का पुनर्जन्म हुआ. मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीते आए. चीता प्रोजेक्ट के तहत आए चीतों को आए अब 2 साल पूरे हो चुके हैं. इन दो सालों में चीतों और टीम ने कई उतार-चढ़ाल देखे. ये सफर कैसा रहा इस पर कुनो नेशनल पार्क और MP टाइगर फाउंडेशन समिति द्वारा एक शॉर्ट फिल्म रिलीज की गई है. फिल्म का टाइटल का 'कूनो : राइज ऑफ चीता' है. 

प्रोजेक्ट जीता
आज से दो साल पहले 17 सितंबर 2022 को दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में PM नरेंद्र मोदी ने इन चीतों को बसाया. इसके बाद चीतों की दूसरी खेप में 12 और भारत लाए गए. चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद इन्हें वापस बसाने का सफर बिल्कुल आसान नहीं रहा. इस दौरान कूनो की टीम को कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले. 

कूनो: राइज ऑफ चीता
कूनो: राइज ऑफ चीता शॉर्ट फिल्म में MP के श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों की पुनर्जन्म की कहानी को वर्णित किया गया है. कूनो प्रबंधन ने चीतों के दो साल के सफर की इस शॉर्ट फिल्म में चीतों के विलुप्ति से लेकर पुनर्जन्म की कहानी को बखूबी दिखाया है. ये शॉर्ट फिल्म अंग्रेजी के बाद अब हिंदी में भी रिलीज कर दी गई है. 

इस फिल्म को Madhya Pradesh Tiger Foundation Society के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. ये फिल्म कूनो नेशनल पार्क और एमपी टाइगर फाउंडेशन समिति द्वारा प्रस्तुत की गई है. इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया गया- 'भारत में चीतों के आगमन के दो साल कूनो की टीम के लिए कई उतार-चढ़ाव से भरे रहे. हमारी यह फिल्म उन सभी भावनाओं को संजोने का एक प्रयास है, जो चीते के पुन:स्थापना में शामिल हर व्यक्ति ने महसूस की हैं - खुशियां और बाधाएं, कठिनाइयां और सफलताएं. यह चीतों का उदय है; जिसने न केवल वैज्ञानिकों, स्थानीय समुदायों और क्षेत्र अधिकारियों को बल्कि हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को एक बड़े उद्देश्य के लिए एकजुट किया है.'

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20 में से बचे 12 चीते
बता दें कि दो खेप में भारत में 12 चीते आए थे, जिनमें से अब सिर्फ 12 चीते ही जीवित बचे हैं. हालांकि, खुशी की बात है कि 12 शावक भी हो गए हैं. इस शॉर्ट फिल्म में चीतों के दो साल के पूरे सफर को बताया गया है. 

इनपुट- श्योपुर से परमेश्वर सिंह की रिपोर्ट, ZEE मीडिया

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