Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार राज्य दिल्ली में जिन योजनाओं के लिए वाह वाही ले रही है वास्तव में उनकी जमीनी हकीकत कुछ और है. हालात इतने खराब है कि लोगों की जान तक जा रही है. ऐसा ही हुआ राजगढ़ में जहां पानी की व्यवस्था के लिए कुए में सफाई के लिए उतरे जलितों की मौत हो गई. पढ़िए पूरी रिपोर्ट
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प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार केंद्र की नल जल योजना यानी जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल की सफलता के लिए वाहवाही लूटती है. वास्तव में उसकी सफलता महज कागजों में है. ऐसा इसलिए की राज्य में आज भी पानी के पीछे लोगों को मौत हो रही है. पिछले दिनों राजगढ़ में कुएं की सफाई के दौरान तीन दलितों की मौत हो गई. इसके पीछे का कारण ये है कि उनके घर में नल की टोंटी तो पहुंच गई पर पानी का उन्हें सालों से इंतजार है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट. आखिर क्या है योजना की सच्चाई और राजगढ़ के माना में कैसे गई दलितों की जान?
विफल योजना के कारण गई जान
शायद आपको यकीन नहीं होगा कि सरकार की कोई योजना लोगों की जान ले सकती है. पर मध्यप्रदेश के राजगढ़ के माना गांव में सरकार की योजना की वजह से 3 लोगों की जान चली गई. जिस योजना के नाम पर शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश ही नहीं दिल्ली में खूब वाहवाही लूटी उसी की जमीनी हकीकत सरकार की पोल खोल रही है.
शिवराज सरकार का फेलियर! कागजों पर सफल योजना की जमीनी हकीकत कुछ और, 3 लोगों की ले ली जान
गांव में पसरा मातम
मध्य प्रदेश को जिस पीएम की फ्लैगशिप योजना नल जल योजना यानी जल जीवन मिशन के लिए शाबासी मिली उस योजना के फैलियर की वजह से 3 लोगों के कुआं कब्र बन गया. आज भी राजगढ़ के माना गांव में मातम पसरा हुआ है. क्योंकि सरकार की विफल योजना के कारण तीन दलित युवकों की कुएं की सफाई के दौरान मौत हो गई थी.
कब्र बना प्यास बुझाने वाला कुआं
माना गांव 3 हजार की आबादी वाला गांव में डेढ़ सौ के आसपास घर हैं. इस गांव में सरकार की हर घर तक टोंटी से जल पहुंचाने की योजना तो पहुंची पर टोटिंयों से घर तक पानी नहीं पहुंचा. यही वजह है कि लोगों ने अपने घरों में कुएं खुदवा रखें है और प्यास बुझाने के लिए मौत का शिकार भी बन रहे हैं. 3 लोगों की कुएं में शव मिलने से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है.
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नल है पर नलों में जल नहीं है
राजगढ़ का ये माना गांव आजादी के बाद से आज तक पेयजल संकट से जूझ रहा है. हर घर तक सरकार की नल जल योजना की टोटी तो पहुंची पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है. यही कारण है कि यहां हर घर मे मौत का कुआं हैं.
तीन घरों का चिराग बुझा
माना गांव में मातम के लिए सरकार जिम्मेदार है. जल संकट ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए. घरों में बने कुए में तीन दलितों की जान लेली. ओमप्रकाश अहिरवार उम्र 30, कांताप्रसाद अहिरवार 30 वर्षीय, विष्णु अहिरवार 24 वर्ष ये अपने-अपने घरों को चलाने वाले मजबूत कंधे थे जो अब दुनिया से चले गए.
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जल संकट ने ली जान- ग्रामीण
जी मीडिया संवाददाता प्रमोद शर्मा ने जब राजगढ़ के माना गांव में 3 लोगों की कुआं में मौत को लेकर गांव में जल संकट का हाल जाना तो हर घर में एक कुआ पाया. ग्रामीणों का साफ कहना है कि गांव में पानी संकट है इसीलिए घरों में कुआं खोदकर इनमें पानी स्टोर किया जाता है. लोगों ने भी 3 लोगों की कुएं में मौत के लिए ग्रामीणों ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया. साफ कहा कि यदि जल जीवन मिशन सरकार की योजना गांव में चल रही होती तो 3 लोगों की मौत ना हुई होती.
कहा जाता है जल ही जीवन है. जल है तो कल है और यही जल संकट लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है. माना गांव आजादी के बाद से जल संकट से जूझ रहा है. सरकार की योजना ने गांव में दम तोड़ दिया है. इसीलिए लोगों को मजबूरी में मौत के साधन हुए खोदने पड़ रहे हैं. यह कुए लोगों के लिए जानलेवा बन रहे हैं. योजना कागजों पर दौड़ गई. लेकिन, जमीन पर योजना ने दम तोड़ा है.
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