सरकार और शिक्षा विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी लापरवाही और लूट के कई मामले सामने आते रहते हैं. यही कारण है कि माता पिता बच्चों को निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर पढ़ाने को मजबूर हैं. इसे रोकने के लिए कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने सरकारी स्कूलों को लेकर कमर कस ली है
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चंद्रशेखर सोलंकी/ रतलाम: कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण कर सबको चौंका दिया. इस दौरान कुछ स्कूलों में बड़ी लापरवाही के मामले सामने आए. कलेक्टर के आकस्मिक निरीक्षण में कुछ स्कूल के शिक्षक बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए. ऐसे सभी मामलों में कलेक्टर ने सभी को नोटिस जारी किए हैं. इसके अलावा जो पहले से अनुपस्थित रहे उन्हें निलंबित करने की कार्रवाई भी की जाएगी.
स्थिति सरकार के दावों से अलग
बता दें सरकार और शिक्षा विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी लापरवाही और लूट के कई मामले सामने आते रहते हैं. यही कारण है कि माता पिता बच्चों को निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर पढ़ाने को मजबूर हैं. शहरी व ग्रामिण इलाकों के शासकीय प्राथमिक माध्यमिक स्कूलों में होस्टल में जाकर देखा गया तो सरकार के दावों से अलग इन स्कूलों में शिक्षा के हालात उदासीन हैं. गणवेष राशि इस साल अब तक नहीं मिली है. होस्टल में बच्चो के लिए न पलंग न लॉकर की व्यवस्था है. बच्चो की संख्या ज्यादा और होस्टल में जगह कम है, क्लारूम व शिक्षकों की कमी है.
लापरवाहियां दबा दी जाती हैं
ग्रामीण इलाकों में तो हालात और खराब है. खाना मेनू के हिसाब से नहीं मिलता है. कई जगह तो बच्चे खुद बर्तन साफ करते पाए गए. स्कूल की किताबें, बच्चो के बैग में नहीं बल्कि रद्दी की तरह एक थैले में हैं. कहीं बिल भरने का पैसा नहीं है , जिसके चलते बिजली काट दी गयी है. तो कहीं बिना कनेक्शन के ही स्कूलों में बिल भेज देने के आरोप लगाए जा रहे हैं. अधिकारी कई बार स्कूलों में निरक्षण करते हैं. निरीक्षण के दौरान समस्याएं तो सामने आती हैं, लेकिन निरीक्षण की जानकारी पहले से मिलने के कारण कई अनियमितता और लापरवाहियां दबा दी जाती हैं. इसी कारण कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने आकस्मिक निरीक्षण को जारी रखने की बात कही है.
कलेक्टर ने बिजली व्यवस्था को शासकीय स्कूल में जल्द शुरू करवाने के निर्देश देने की बात कही है. वहीं ज़ी मीडिया द्वारा स्कूलों में अनियमितता की जानकारी पर कलेक कुमार पुरषोत्तम ने यह भी कहा कि वे अब लगातार इस तरह आकस्मिक निरीक्षण करेंगे, जिससे स्कूलों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सके.
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