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भोपाल: प्रमोशन में आरक्षण मामले पर कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. मध्य प्रदेश में 10 दिन में दूसरी बैठक की गई. इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला. बैठक में सपाक्स और अजाक्स के बीच सहमति नहीं बनी. इससे पहले मंत्री समूह की बैठकें भी बेनतीजा रह चुकी हैं. बता दें प्रमोशन में आरक्षण मामले में दोनों पक्षों यानि अनारक्षित एवं आरक्षित के अधिकारियों और कर्मचारियों को एक राय पर लाने की कोशिश लंबे समय से चल रही है, जो असफल ही रह रही है.
सपाक्स की दलील
आरक्षण मामले पर मंत्रालय में अजाक्स और सपाक्स की बैठक बुलाई गई. बैठक में सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संस्था) ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट की अपील पर अंतिम निर्णय आने तक नए नियम लागू नहीं किए जाएं. सपाक्स ने लिखित आपत्ति और सुझाव देते हुए कहा है कि 24 फरवरी से पदोन्नति में आरक्षण मामले की राज्यवार सुनवाई शुरू हो रही है. जल्दबाजी में नियम लागू नहीं किए जाएं. नियमों में विसंगति होगी, तो मामला फिर कोर्ट में जाएगा.
भेदभाव की स्थिति बनेगी
सपाक्स ने कहा कि सरकारी सेवा में वर्तमान में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत से अधिक है. फिर भी सरकार सिर्फ बैकलाग के पद भर रही है. इससे भेदभाव की स्थिति बनेगी. ऐसी स्थिति में सभी सरकारी कर्मचारियों को पांच स्तरीय समयमान वेतनमान दिया जाए. कुछ सरकारी सेवाओं में यह प्रावधान पहले से है. सपाक्स की मांग है कि क्रीमीलेयर आरक्षित अधिकारीयों को पदोन्नति में आरक्षण से बाहर किया जाए, जिस पर सहमति नहीं बनी.
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