संघ प्रमुख ने किए महाकाल के दर्शन, मंदिर में किया देश के पहले जल स्तंभ का अनावरण
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संघ प्रमुख ने किए महाकाल के दर्शन, मंदिर में किया देश के पहले जल स्तंभ का अनावरण

RSS Chief Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख मोहन भागवत आज उज्जैन में बाबा महाकाल का दर्शन किए. इसके बाद उन्होंने मंदिर परिसर में देश के पहले 13 फीट ऊंचे जल स्तंभ का अनावरण किए. 

फाइल फोटो

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैनः महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बाबा महाकाल का दर्शन पूजन व अभिषेक किया. संघ प्रमुख के मुख्य कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर भस्म रमैया भक्त मंडल के सदस्यों ने झांझ व डमरू तथा बंगाली समाज की महिलाओं ने शंख की मंगल ध्वनि से स्वागत किया. कार्यक्रम स्थल पर संघ प्रमुख के साथ साधु संत व महामंडलेश्वर थे. संघ प्रमुख ने सुजलाम जल महोत्सव के अंतर्गत महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में देश के पहले जल स्तंभ का अनावरण किया.

जानिए क्या कहा संघ प्रमुख ने
संघ प्रमुख ने जल स्तंभ का अनावरण कर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मैं तो इतना ज्ञानी नहीं हूं, इधर बैठे लोग उधर बैठे लोग ही ज्ञानी हैं. लेकिन हम हर रोज जैसे महाकाल जी का स्मरण करते हैं. वैसे ही अब जल स्तंभ का स्मरण करेंगे. अपने जीवन को धर्म प्रबल बनाएंगे. मैं मानता हूं आज के कार्यक्रम का यही अर्थ है  मेरी अंतर बुद्धि में जो बात मेरे विचारों में आई और आपको लगता है, ये उपयोग की है तो आप इसे अपनाएं. ऐसा करने से हो सकता है खुद का खुद के जीवन का और सारे विश्व का कल्याण हो सकता है.

संघ के बारे में अच्छा सुनने की आदत रही नहीं!
संघ प्रमुख ने कहा कि जलस्तम्भ अनावरण के आयोजन में आना स्वभाविक बात है. श्री महाकाल के दर्शन करना जो होना चाहिए बाकी कई सारी बातें भी जुड़ गई है. ये जो अब अभिनंद पत्र व महृषि दधीचि से तुलना जो जुड़ गई है. जिसके लिए ना मैं कुछ कर सकता हूं, ना आप और में जानता हूं इस बात को. क्योंकि कार्यक्रम के समारम्भ होना और समारंभ के उत्सव होना ये भारतवर्ष का स्वभाव है. ऐसा हुआ है और वास्तव में महृषि दधीचि जैसी तपस्या करने वाले बहुत लोग पीछे हैं जो आज है जो कल होने वाले है उसमें मेरा नंबर नहीं है. मेरा नंबर नहीं है इसलिए उन्होंने मुझे यहां रखा है ये स्वयं उन्हीं का पुण्यप्रताप है जो संघ के बारे में अच्छे अच्छे शब्द हमें सुनने को मिल रहे हैं. नहीं तो हमें संघ के बारे में अच्छा सुनने की आदत रही नहीं.

संघ प्रमुख ने बताई जल से जुड़ी कहानियां
वहीं संघ प्रमुख ने जल से जुड़ी कई कहानियां अपने शब्दों में शिव से जुड़ी, प्रकृति से जुड़ी बताई. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की अधिकांश दवाईयां वॉटरबसेड है. आज ऐसा कह सकते हैं, एलोपैथी की अधिकांश दवाइयां एल्कोहल बेस्ड है. ऐसे में शुरू से जो आयुर्वेदिक दवाइयां ले रहा है. उन पर एलोपैथिक असर नहीं करती है. लेकिन एलोपैथिक दवाई लेने वालों को आयुर्वेदिक असर करती है बस यह फर्क है थोड़ा देर से करती है.

जल को पानी समझ कर नहीं पीना!
मोहन भागवत ने कहा कि जल को पानी समझ कर नहीं पीना. इसको हमारा रक्षक व पोषक समझ कर पीना चाहिए. पानी को जीव जंतु प्रकृति के लिए ओषधि समझें. मेरा पानी समझ कर पानी का उपयोग नहीं करें. जल स्तम्भ को मंदिर में स्थापित करने का कारण है कि प्रचीन काल से जल और मंदिर का एकसाथ जुड़ा रहना. जैसे शिप्रा किनारे हम हैं, अवन्तिक नगरी है, महाकाल बाबा का मंदिर है. जहां नदिया नहीं है वहां कुंड है, तालाब है, इसी प्रकार जल स्तम्भ है. इस जलस्तम्भ के दर्शन से हम इस अयोग, अतियोग या मिथ्यालोक की गलती से बचेंगे.

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