Sonkatch Vidhan Sabha Seat: इस हाई-प्रोफाइल सीट को कांग्रेस से कब्जाने के लिए BJP ने इस चेहरे पर खेला दांव
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Sonkatch Vidhan Sabha Seat: इस हाई-प्रोफाइल सीट को कांग्रेस से कब्जाने के लिए BJP ने इस चेहरे पर खेला दांव

Sonkatch Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा सीट (Sonkatch Seat Analysis) पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें. 

Sonkatch Vidhan Sabha Seat: इस हाई-प्रोफाइल सीट को कांग्रेस से कब्जाने के लिए BJP ने इस चेहरे पर खेला दांव

Sonkatch Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election 2023) का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. इसी कड़ी में देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा सीट (Sonkatch vidhansabha seat) पर चुनाव की तैयारी तेज हो गई है. ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है, यहां से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा विधायक है, जो कमलनाथ सरकार में PWD मंत्री रह चुके हैं. एक बार वे देवास-शाजापुर सीट से सांसद भी रहे हैं. आइये जानते हैं, इस सीट का समीकरण...

बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी ने यहां से  डॉ. राजेश सोनकर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.राजेश सोनकर इंदौर के जिला अध्यक्ष (ग्रामीण) हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस सज्जन सिंह को मौका देती है या फिर कोई उम्मीदवार इस सीट पर उतरता है.

सोनकच्छ  सीट का जातीगत समीकरण
सोनकच्छ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के रिजर्व है. इस सीट पर करीब 40 फीसदी अनुसूचित वर्ग के लोग रहते हैं. एससी के बाद यहां ठाकुर समुदाय के वोटर्स हैं, जिनकी संख्या 30 फीसदी है. जिसमें से कांग्रेस ने अधिकांश पर कब्जा कर रखा है. वहीं करीब 42 हजार सेंधव समाज, 40 हजार के करीब राजपूत समाज और खाती समाज के वोट हैं.

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सोनकच्छ सीट पर कितने मतदाता
कुल मतदाता-  2,05,398

महिला मतदाता - 98,371
पुरुष मतदाता - 1,07,024

सोनकच्छ सीट का इतिहास 
सोनकच्छ विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो इसे कांग्रेस का गढ़ कहना ठीक ही होगा. क्योंकि  1998 के बाद से ही यहां पर कांग्रेस का कब्जा है. 90 के दशक की राजनीति में बीजेपी ने पहली जीत हासिल की थी, फिर 1993 में बीजेपी के सुरेंद्र वर्मा ने जीत हासिल की. साल 1998 में इस सीट पर कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने अपना पहला चुनाव जीता, इसके बाद वो लगातार 2008 तक जीतते रहे, लेकिन 2013 में बीजेपी की लहर में उनको पहली हार मिली.  इसके बाद साल 2018 में सज्जन सिंह ने पलटवार किया और वो चौथी बार यहां से विधायक बने. 

2018 में कैसा रहा नतीजा
साल 2018 विधानसभा चुनाव में यहां करीब 12 उम्मीदवार इस  सीट पर चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन असली मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा. यहां कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा को 86,396 वोट मिले, जबकि बीजेपी के फूलचंद के खाते में 76, 528 वोट मिले. इस तरह ये मुकाबला 9,818 वोट से सज्जन सिंह वर्मा जीत गए.

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