'भैया जी बैक'टू जेलः रेप के आरोपी ABVP नेता को पोस्टर लगवाना पड़ा भारी, जाना पड़ेगा जेल
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'भैया जी बैक'टू जेलः रेप के आरोपी ABVP नेता को पोस्टर लगवाना पड़ा भारी, जाना पड़ेगा जेल

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा और जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों ना आपकी जमानत निरस्त कर दी जाए.

'भैया जी बैक'टू जेलः रेप के आरोपी ABVP नेता को पोस्टर लगवाना पड़ा भारी, जाना पड़ेगा जेल

दुर्गेश साहू/जबलपुरः जबलपुर में एबीवीपी के छात्र नेता और पूर्व महानगर मंत्री शुभांग गोटिया को जमानत मिलने पर शहर भर में अपने पोस्टर लगवाना भारी पड़ गया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपी की जमानत रद्द करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी शुभांग गोटिया एक हफ्ते में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं.  

'#भैया जी बैक' के पोस्टर लगवाना पड़ा भारी
शुभांग गोटिया पर एक लड़की को शादी का झांसा देकर उसके साथ रेप करने का आरोप है. जिसके बाद बीते साल सितंबर में पुलिस ने आरोपी शुभांग को गिरफ्तार किया था. इसके बाद नवंबर 2021 में आरोपी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. आरोपी ने जमानत मिलने के बाद शहर के कई इलाकों में भैया जी बैक हैशटैग लिखे पोस्टर लगवाए. जिस पर पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोपी की जमानत खारिज करने की अपील की थी. 

इस याचिका में कहा गया था कि आरोपी को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने तथ्यों को गंभीरता से नहीं लिया. आरोपी के पूर्व इतिहास पर भी गौर नहीं किया गया. आरोपी बड़े घराने से ताल्लुक रखता है इसलिए अपने रसूख के दम पर वह खुद को एक दबंग नेता के तौर पर प्रचारित कर रहा है. याचिका में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में शहर भर में लगे बैनर पोस्टर की तस्वीरें भी साझा की. 

सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात 
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा और जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों ना आपकी जमानत निरस्त कर दी जाए. कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा. अब अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी और उसके समर्थकों ने जिस तरह से पोस्टर लगवाए हैं, वह उसके प्रभाव को उजागर करते हैं. समाज में इसका पीड़िता और उसके परिवार पर गलत प्रभाव पड़ेगा. 

कोर्ट ने कहा कि आरोपी के इस निर्लज्ज आचरण ने पीड़िता के मन में भय पैदा कर दिया है और आरोपी अगर जमानत पर रहता है तो इससे मामले की निष्पक्ष जांच और स्वतंत्र ट्रायल पर असर पड़ेगा. आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए आरोपी जमानत का हकदार नहीं है. जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी शुभांग की जमानत निरस्त कर एक हफ्ते में सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं.  

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