राम मंदिर में साईं प्रतिमा देख दुखी हुए शंकराचार्य के शिष्य, जानिए पूरा मामला
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राम मंदिर में साईं प्रतिमा देख दुखी हुए शंकराचार्य के शिष्य, जानिए पूरा मामला

द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद  गुरूवार को छिंदवाड़ा के छोटी बाजार स्थित बड़ी माता मंदिर और श्रीराम मंदिर में दर्शन करने आएं.

राम मंदिर में साईं प्रतिमा देख दुखी हुए शंकराचार्य के शिष्य, जानिए पूरा मामला

छिंदवाड़ा: द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद  गुरूवार को छिंदवाड़ा के छोटी बाजार स्थित बड़ी माता मंदिर और श्रीराम मंदिर में दर्शन करने आएं थे, लेकिन इस दौरान सांई बाबा की प्रतिमा को देखकर भडक़ गए और उन्होंने अपने एक शिष्य को जमकर लताड़ा.

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दरअसल पहले वे बड़ी माता मंदिर में पहुंचे जहां उन्होंने गर्भ गृह में पहुंचकर माता रानी की पूजा अर्चना की. इस दौरान जैसे ही उनकी नजर यहां दीवार पर लगे सांई बाबा के आर्टिफिशियल मंदिर पर पड़ी तो नाराज हो गए और पुजारी के रोकने पर भी यहां नहीं रूके. इसके बाद छोटा बाजार के राममंदिर भी पहुंचे, वहां भी भगवान के दर्शन के दौरान उन्हें फिर सांई बाबा की प्रतिमा दिख गई. जिसके बाद उन्होंने मंदिर के पुजारी पर नाराजगी जाहिर की और यह तक कह डाला की राम के मंदिर में सांई का क्या काम है? 

शिष्य को फटकारा, बोले तुमने धोखा दिया
बड़ी माता मंदिर में जो शिष्य स्वामी जी को ले गया था उसे उन्होंने सबके सामने लताड़ते हुए कहा कि हमने तुम पर विश्वास किया हमारा संकल्प है कि जिस मंदिर में सांई है वहां हम नहीं जाएंगे, फिर भी तुमने हमारे विश्वास को तोड़ा और हमें ऐसे मंदिर में ले गए अब दोबारा हमारे सामने मत आना. 

हम हमारे आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे बर्दाश्त
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मंदिर परिसर में भास्कर से चर्चा करते हुए कहा कि छिंदवाड़ा में आज मां दुर्गा और भगवान श्रीराम के मंदिर में सांई बाबा की मूर्ति देखकर मन दुखी हो गया. हम हमारी आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे, जब तक सांई बाबा की मूर्ति इन मंदिरों में रहेगी हम यहां पर कभी प्रवेश नहीं करेंगे. मंदिर समिति सांई को हटा दे तो हम खुद यहां आकर पूजा करेंगे.

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शंकराचार्य स्वामी के विशेष प्रतिनिधि है अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद विशेष रूप से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के विशेष प्रतिनिधि भी है. काशी में उन्होंने काशी में मंदिर तोड़े जाने का विरोध किया था, वहीं छत्तीसगढ़ के कवर्धा में सनातन धर्म के ध्वज को हटाने के विरोध में हजारों लोगों के साथ रैली निकालकर ध्वज को स्थापित भी किया था.

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