एनटीसीए की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में एमपी में 270 टाइगरों की मौत हो चुकी है. इनमें से सबसे ज्यादा 66 टाइगरों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की पहचान टाइगर स्टेट के रूप में है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में बाघ पाए जाते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की बाघों की मौत के मामले में भी नंबर वन है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते 11 माह में एमपी में 33 बाघों की मौत हुई है. इनमें से 6 बाघों का शिकार किया गया है.
बाघों की मौतों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि बीते 4 सालों में प्रदेश में 134 बाघों की मौत हुई है. इनमें से 35 बाघों का शिकार किया गया. वहीं सड़क दुर्घटना, कुएं में गिरने और आपसी लड़ाई में 80 बाघ मारे गए हैं. कर्नाटक और उत्तराखंड बाघों की संख्या के मामले में देश में दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं लेकिन इन दोनों राज्यों में इस साल कुल 6 बाघों की ही मौत हुई है.
बाघों की बढ़ती संख्या के चलते बाघ अपने संरक्षित क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं. इस वजह से भी बाघों की सुरक्षा के लिए चुनौती बढ़ रही है. एनटीसीए की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में एमपी में 270 टाइगरों की मौत हो चुकी है. इनमें से सबसे ज्यादा 66 टाइगरों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है.
हाल ही में पन्ना टाइगर रिजर्व में भी एक बाघ का शव मिला है. बाघ फांसी के फंदे पर एक पेड़ से लटका हुआ मिला है. माना जा रहा है कि बाघ का शिकार किया गया है. घटना के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है. सीएम ने भी इस मुद्दे पर मीटिंग बुलाई थी.
इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.साथ ही वन विभाग के दो कर्मचारियों को भी लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है. दोनों आरोपियों को दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. बता दें कि मध्य प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय डुबरी नेशनल पार्क शामिल हैं. राज्य में बाघों की संख्या साल 2018 की गणना के अनुसार, 526 है.