Madhya Pradesh News: ग्वालियर जिला न्यायालय की एमपी एमएलए कोर्ट ने कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार के खिलाफ बयान दर्ज नहीं कराने पर हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है. आरोप है कि तीन बार से कांग्रेस विधायक सिकरवार को कोर्ट द्वारा समन भेजे जा रहे हैं, लेकिन वह कोर्ट में अपने बयान दर्ज करने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं.
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Madhya Pradesh News: ग्वालियर जिला न्यायालय की एमपी एमएलए कोर्ट ने कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार के खिलाफ बयान दर्ज नहीं कराने पर हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है. आरोप है कि तीन बार से कांग्रेस विधायक सिकरवार को कोर्ट द्वारा समन भेजे जा रहे हैं, लेकिन वह कोर्ट में अपने बयान दर्ज करने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं. दरअसल, 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा भिंड की एक पत्रकार वार्ता में भारतीय जनता पार्टी और बजरंग दल और उससे जुड़े संगठनों पर आरोप लगाए गए थे कि यह लोग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से पैसे लेकर भारत में जासूसी करते हैं.
इस बयान के आधार पर भाजपा नेता और एडवोकेट अवधेश ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस दायर किया था. शिकायतकर्ता द्वारा सभी साक्ष्य न्यायालय में कराए जा चुके हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना बचाव न्यायालय में पेश करना है. इसी सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार को अपने पक्ष में बयान देने के लिए न्यायालय से समन जारी कराए गए.
जमानती वारंट हुआ जारी
आरोप है कि समन पर तीन बार से सिकरवार बयान देने के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहे हैं. इस पर परिवादी की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई है. उनका कहना है कि जब कांग्रेस विधायक भी दिग्विजय सिंह की पार्टी के हैं तो उनका बयान आसानी से दर्ज कराया जा सकता है, लेकिन वह जानबूझकर अपना बयान दर्ज नहीं करा रहे हैं. अब इस मामले पर सुनवाई 22 जनवरी को होगी. इस बीच न्यायालय ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ एक हजार का जमानती वारंट जारी कर दिया है.
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए सिकरवार
बता दें कि सतीश सिकरवार ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे यहां से दूसरी बार जीते हैं. कांग्रेस विधायक ने 2020 उपचुनाव और 2023 विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. सतीश सिकरवार उपचुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. 2018 विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा से लड़ा था, लेकिन तब कांग्रेस प्रत्याशी रहे मुन्नालाल गोयल से हार गए थे. उसके बाद गोयल ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद भाजपा ने उपचुनाव में गोयल को प्रत्याशी बनाया था, जिसके चलते सिकरवार ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था.