देश के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग मौसम विभाग से ज्यादा अपनी पुरातन परंपराओं पर ज्यादा विश्वास करते हैं और उन्हीं के आधार पर खेतों में बुवाई आदि का काम करते हैं. तो आइए जानते हैं ये दिलचस्प मामला...
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सत्येंद्र परमार/निवाड़ीः समय बदला, विज्ञान ने तरक्की की लेकिन देश के कई हिस्सों में आज भी पुरानी परंपराएं कायम हैं और ना सिर्फ कायम हैं बल्कि लोगों की इन परंपराओं में पूरी आस्था भी है. ऐसे ही बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचल में एक ऐसी परंपरा है, जिसमें पक्षी के अंडे देखकर अनुमान लगाया जाता है कि बारिश कब और कितनी होगी!
वर्तमान समय में मौसम की जानकारी देने के लिए मौसम विभाग मौजूद है, जो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर मौसम की सटीक जानकारी देता है लेकिन बुंदेलखंड और देश के अन्य हिस्सों के ग्रामीण अंचल में आज भी पारंपरिक तौर पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है. दरअसल बुंदेलखंड के निवाड़ी जिले के जियार गांव में आज भी टिटहरी पक्षी के अंडे देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि इस साल बारिश कैसी होगी! बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचल में पुरातन काल से यह परंपरा चली आ रही है और आज विज्ञान के युग में भी लोग इसमें पूरा विश्वास रखते हैं.
मान्यता है कि टिटहरी पक्षी जितने अंडे देता है और उन अंडों में से कितने अंडे आपस में चिपके हुए हैं और कितनों में अंतर है, उसी से तय होता है कि मानसून के दौरान कैसी बारिश होगी. टिटहरी पक्षी पूरे देश में पाया जाता है और यह 3-4 अंडे ही देता है. इसकी खास बात ये है कि यह पक्षी किसी पेड़ या ऊंचे स्थान पर अंडे नहीं देता है बल्कि खुले खेत में या फिर नदी किनारे, नालों के पास, गड्ढेनुमा जमीन में अंडे देता है. टिटहरी के अंडे मिट्टी जैसे रंग के होते हैं. टिटहरी अंडे देने के बाद अंडों से काफी दूर बैठते हैं ताकि किसी को उसके अंडों के बारे में पता नहीं चल सके.
लोगों का मानना है कि अगर टिटहरी के दो अंडे आपस में जुड़े हुए हैं तो इसका मतलब होता है कि इस साल दो माह अच्छी बारिश होगी. वहीं जितने अंडों में अंतर हैं, माना जाता है कि उतने महीनों में बारिश कम होगी. वहीं मौसम विभाग की मानें तो इस साल 18 जून को मानसून मध्य प्रदेश में दस्तक दे देगा. इस बार अच्छी बारिश का अनुमान जताया जा रहा है.