Ansuyabai Borkar Member of the 1st Lok Sabha: कांग्रेस पार्टी की नागपुर जिला समिति की सदस्य रहीं अनसूयाबाई भाऊराव बोरकर पहली लोकसभा में पहुंचने वाली महिला सांसदों में से एक थीं. अपने पति भाऊराव बोरकर के निधन के बाद उन्होंने भंडारा सीट से उपचुनाव लड़ा था और लगभग 58,000 वोट पाकर चुनाव जीता था.
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Story of Anasuyabai Bhaurao Borkar: आज हमारे देश की लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 78 वैसे तो 543 वाली लोकसभा के हिसाब से ये संख्या बहुत कम है. हालांकि आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी जब हमारे देश में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए थे तो उस समय महिला सांसदों की संख्या मात्र 24 थी. इन 24 महिला सांसदों में से एक मध्य प्रदेश के भंडारा (बता दें कि उस समय भंडारा एमपी था) से संसद में पहुंचने वाली अनसूयाबाई भाऊराव बोरकर (Anasuyabai Bhaurao Borkar) भी थीं और आज वूमेन इक्विटी डे (Women's Equality Day) पर हम आपको उनकी ही स्टोरी बताएंगे.
रायपुर में की पढ़ाई
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) की सदस्य अनुसूयाबाई भाऊराव बोरकर 1955-57 तक लोकसभा की पहली सदस्य थीं. वह अपनी राजनीतिक सक्रियता के लिए जानी जाती थीं.अनुसूयाबाई बोरकर का जन्म 1929 में काम्पटी, (तब मध्य प्रांत और बरार का एक हिस्सा)में एक किसान परिवार में हुआ था. बता दें कि उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर के सलेम गर्ल्स हिंदी इंग्लिश मिडिल स्कूल (Salem Girls Hindi English Middle School) से पूरी की थी.
पति के निधन के बाद उपचुनाव में उतरी
वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी की नागपुर जिला समिति की सदस्य भी थीं.1947 में, उनकी कांग्रेस नेता भाऊराव बोरकर (Bhaurao Borkar) से शादी हुई थीं. बता दें कि बोरकर एक एक्टिव सोशल वर्कर थीं और उन्होंने नागपुर में एडल्ट्स गर्ल्स और महिलाओं की शिक्षा के लिए काम किया था. पहले लोकसभा चुनाव में उनके पति भंडारा सीट (Bhandara Seat) से सांसद चुने गए थे. हालांकि अपने कार्यकाल के दौरान ही 2 फरवरी 1955 को उनका निधन हो गया था.
करीब 27 हजार वोटों से चुनाव जीतीं
भाऊराव बोरकर के निधन के बाद उन्होंने इस सीट से उपचुनाव लड़ा था. 1955 के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उन्हें 84,458 वोट मिले थे. जबकि उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार जो अनुसूचित जाति महासंघ (Scheduled Castes Federation) से थे, उन्हें लगभग 58,000 वोट मिले थे. बता दें कि इस चुनाव को जीतने के बाद वह पहले लोकसभा की महिला सदस्य की लिस्ट में आ गईं थीं.