इसकी शुरुआत राजधानी भोपाल से की जाएगी. कलेक्टर अविनाश लवानिया के मुताबिक शहर के सभी 85 वार्डों में सर्वे के लिए 60 हेल्थ टीमें बनाई गई हैं. इस दौरान कुल 7500 लोगों की रैंडम सैंपलिंग की जाएंगी.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में अब हर कोरोना पॉजिटिव मरीज की टीवी संक्रमण की भी जांच की जाएगी. यह फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइन के बाद लिया गया है. इसके लिए राज्य में तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं. एक सप्ताह के अंदर प्रदेशभर में द्विआयामी टीबी-कोविड स्क्रीनिंग शुरू होने की संभावना है.
इसकी शुरुआत राजधानी भोपाल से की जाएगी. कलेक्टर अविनाश लवानिया के मुताबिक शहर के सभी 85 वार्डों में सर्वे के लिए 60 हेल्थ टीमें बनाई गई हैं. इस दौरान कुल 7500 लोगों की रैंडम सैंपलिंग की जाएंगी.
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राज्य में यह सर्वे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र नई दिल्ली और हमीदिया अस्पताल के संयुक्त समन्वय में होगा. सर्वे में लगाई जाने वाली हर हेल्थ टीम के साथ नगर निगम का एक वार्ड प्रभारी, एक पुलिस जवान, एक टेक्नीशियन और एक हेल्पर भी मौजूद रहेगा. इसके समन्वय की जिम्मेदारी बीडीए के सीईओ बुद्धेश वैद्य और निगम के अपर आयुक्त एमपी सिंह को सौंपी गई है.
क्या है केंद्र की गाइडलाइन?
केंद्र सरकार की तरफ से देशभर के अस्पतालों को बाय-डायमेंशनल टीवी-कोविड स्क्रीनिंग की गाइडलाइन जारी की है. इसमें सभी आईएलआई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस) और एसएआरआई (सीवियर एक्यूट रेस्पायरेटरी इन्फेक्शन) पेशेंट की भी टीवी स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए गए हैं. विभाग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि टीबी और कोविड-19 दोनों ही ऐसे संक्रामक रोग हैं, जो सबसे पहले फेफड़ों पर हमला करते हैं, दोनों ही बीमरियों के लक्षण भी एक जैसे हैं.
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टीबी संक्रमितों में है कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा
कोरोना को लेकर अध्ययन में सामने आया है कि टीबी मरीजों में यह संक्रमण सबसे तेज फैलता है. जिससे कोरोना संक्रमितों में यह खतरा दोगुना से भी अधिक हो गया है. इसलिए इस जोखिम की स्थिति से निपटने के लिए द्विआयामी टीबी-कोविड जांच प्रक्रिया अपनाया जाना जरूरी हो गया है.
टीबी के 4 प्रमुख लक्षण
1. दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी
2. दो हफ्ते से बुखार आना
3. तेजी से शरीर का वजन घटना
4. रात में सोते वक्त पसीना आना
ऐसे होती है टीबी जांच
छाती का एक्स-रे व न्यूक्लियर एसिड एम्पलिफिकेशन टेस्ट (एनएएटी) सीबी-नाट और ट्रू-नाट पद्धति से होता है. वर्तमान में कोरोना की जांच भी इन दोनों पद्धतियों से की जा रही है.
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