रतलाम: महीनों से घर नहीं जा पाए इस गांव के लोग, पुलिस से बोल रहे सही-सलामत पहुंचा दो
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रतलाम: महीनों से घर नहीं जा पाए इस गांव के लोग, पुलिस से बोल रहे सही-सलामत पहुंचा दो

थाने पर इकट्ठा हुए ग्रामीणों ने बताया कि 10 महीने पहले जमीन को लेकर भाभर परिवार व कटारा परिवार के बीच विवाद हुआ था. इस दौरान भाभर परिवार के लोगों ने कटारा परिवार के 3 लोगों की हत्या कर दी थी. 

रतलाम: महीनों से घर नहीं जा पाए इस गांव के लोग, पुलिस से बोल रहे सही-सलामत पहुंचा दो

चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के थाना रावटी के बाहर करीब 150 लोगों का परिवार रविवार की सुबह से ही जमावड़ा लगाए हुआ है. जानकारी के मुताबिक ये सभी ग्रामीण रावटी थाना छेत्र के गुंडियापाड़ा गांव के हैं और अपने गांव से 10 महीने से बाहर रह रहे हैं. ये लोग पुलिस से सुरक्षा के लिए गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें कुछ दबंगों द्वारा परेशान किया जा रहा है और गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. अगर वे गांव चले गए तो उनके साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है. 

थाने पर इकट्ठा हुए ग्रामीणों ने बताया कि 10 महीने पहले जमीन को लेकर भाभर परिवार व कटारा परिवार के बीच विवाद हुआ था. इस दौरान भाभर परिवार के लोगों ने कटारा परिवार के 3 लोगों की हत्या कर दी थी. जिसके बाद से कटारा समाज के लोगों में आक्रोश है. और वे लोग भाभर समाज के लोगों को कई बार जान से मारने की धमकी दे चुके हैं.

विवादित जमीन बनी थी हत्या की वजह
जानकारी के मुताबिक नायन गांव में पूर्व सरपंच मोहन कटारा के परिवार और गुंदीपाड़ा गांव के बापु भाभर परिवार के बीच लंबे समय से ज़मीन पर हक जताने का विवाद चल रहा था. 5 जून 2020 को पूर्व सरपंच मोहन कटारा परिवार द्वारा शिकायत पर विवादित ज़मीन की माप की गई थी. जिसके बाद पटवारी व पुलिस सहित दोनों पक्ष नायन गांव पंचायत पहुंचे, जहां दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया और बापू भार परिवार के 14  लोगों ने धारदार हथियार से पूर्व सरपंच परिवार के लोगों पर हमला कर दिया था. इससे पूर्व सरपंच मोहन कटारा के परिवार के मगन, शंकर और गुलाब की मौके पर ही मौत हो गई थी. 

वहीं, मामले में रावटी थाना प्रभारी ने कहा कि पुराने विवाद की वजह से ग्रामीण गांव से बाहर रहे हैं. इससे पहले भी गांव में पुलिस बल की तैनाती कई दिनों के लिए की गई थी. बावजूद इसके ये लोग घर नहीं गए थे. अभी भी इन लोगों को बोला जा रहा है कि गांव छोड़ आते हैं, लेकिन ये लोग गांव में पुलिस तैनात करने की बात पर अड़े हैं. 

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