हाईकोर्ट ने कहा, कोरोना आर्थिक आधार देखकर नहीं आता. वहीं विपक्ष ने हमला बोलते हुए कहा कि भूपेश सरकार जनता के सामने हाईकोर्ट को ही दोषी बना रही है.
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रायपुरः छत्तीसगढ़ में पांच दिन चले 18 से 44 आयुवर्ग के टीकाकरण को स्थगित कर दिया गया. राज्य में एक मई से आर्थक रूप से गरीब लोगों का ही टीकाकरण हो रहा था. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि कोरोना आर्थिक आधार देखकर नहीं आता. जिसे देखते हुए अब राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने वैक्सीन के अभाव का हवाला देते हुए 18 से 44 आयुवर्ग का टीकाकरण रोकने का फैसला किया.
'जनता के समक्ष हाईकोर्ट को बना रहे खलनायक'
राज्य सरकार द्वारा टीकाकरण रोकने के बाद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ चीफ अमित जोगी ने इस फैसले पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि राज्य में आर्थिक आधार से कमजोर वर्ग का ही टीकाकरण हो रहा था. जिस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि सभी लोगों का वैक्सीनेशन होना चाहिए. लेकिन राज्य सरकार ने इसके विपरीत फैसला लेते हुए टीकाकरण ही रोक दिया. सरकार चाहती है कि जनता की नजर में टीकाकरण रोकने का सारा दोष हाईकोर्ट पर लग जाए.
हाईकोर्ट की मंशा है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के साथ-साथ बाक़ी सभी को भी टीका लगे किंतु आज रात इस मंशा के विपरीत @HealthCgGov ने 18-44 आयुवर्ग के टीकाकरण पर रोक लगा देने का फ़रमान निकाल दिया।सरकार ने हाईकोर्ट को जनता के समक्ष खलनायक बनाने की ग़लत नियत से यह फ़ैसला लिया है। pic.twitter.com/1bZKmJmoI4
— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) May 5, 2021
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75 लाख का ऑर्डर दिया, पहुंचे डेढ़ लाख
इससे पहले बुधवार को राज्य सरकार द्वारा बताया गया कि उन्होंने कंपनियों को 75 लाख टीकों के ऑर्डर दिए. लेकिन 30 अप्रैल तक उनके पास एक भी टीका नहीं पहुंचा, फिर 1 मई को केंद्र सरकार द्वारा डेढ़ लाख टीके पहुंचाए गए. तब कहीं टीकाकरण शुरू हुआ. कम वैक्सीन के चलते आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को प्राथमिकता दी गई.
हाईकोर्ट की अवहेलना न हो इसीलिए लिया फैसला
सरकार द्वारा बताया गया कि हाईकोर्ट ने निर्देश देते हुए बताया कि कोरोना आर्थिक आधार देखकर नहीं आता, राज्य सरकार ध्यान दें कि सभी लोगों का टीकाकरण हो. इसी बीच 5 मई तक अंत्योदय परिवारों का ही टीका हो रहा था. हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना न हो, इसी के चलते राज्य में 18 से 44 आयु वर्ग के टीकाकरण को स्थगित किया गया है.
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नहीं हो पा रहा था मोबाइल में रजिस्ट्रेशन
वैक्सीनेशन रोकने के पीछे सरकार का एक मत यह भी था कि टीके कम हैं और वैक्सीन रजिस्ट्रेशन मोबाइल पर हो रहा है. कई गरीब परिवारों के पास यह सुविधा नहीं है, उन्हें इसमें दिक्कतें आ रही थीं. प्रदेश में 18 से 44 आयुवर्ग के 1.34 करोड़ लोग हैं, लेकिन डोज सिर्फ डेढ़ लाख. ऐसे में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जारी रखने से भीड़ बढ़ती, लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता. वहीं भीड़ से संक्रमण के फैलने का भी डर रहता, ऐसी परिस्थिति में यह फैसला लेना जरूरी था.
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