देश में आज भी वर्षों पुरानी परंपराएं मनाई जाती हैं, लेकिन कई मान्यताओं में आस्था से ज्यादा जोखिम होता है.
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चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: देश में आज भी वर्षों पुरानी परंपराएं मनाई जाती हैं, लेकिन कई मान्यताओं में आस्था से ज्यादा जोखिम होता है. जागरुकता के अभाव में पुराने समय से चली आ रही जोखिम वाली मान्यताएं आज भी निर्वाह की जा रही हैं. मध्य प्रदेश के रतलाम में भी हजारों लोग अपनी जान को खतरे में डालकर इन परंपरा को मनाते हैं. कचलाना गांव में लोग उल्टा लटककर परिक्रमा लगाते हैं, वहीं रावटी में हजारों की भीड़ अंगारों पर चलती है.
कचलाना गांव में वर्षों से ऐसी मान्यता का निर्वाह किया जाता है जिसमें लोग भैरव मंदिर पर 30 फ़ीट ऊपर एक खंबे पर उल्टा लटककर परिक्रमा लगाते हैं. इसमें बड़ा जोखिम होता है क्योंकि अगर कमर में बंधी गांठ अचानक खुल जाए तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है. हर साल होली दहन के अगले दिन इस परंपरा के निर्वाह को लेकर मेला लगता है, जिसमें हजारों की भीड़ जुटती है.
वहीं ग्रामीण क्षेत्र रावटी में भी लोग जोखिम भरी मान्यता को मानते हैं. यहां होली से रंग पंचमी के बीच अलग-अलग ग्रामीण इलाकों में अंगारों पर चलने की परंपरा को लेकर मेले लगते हैं और हजारों की संख्या में लोग इन मेलों में शामिल होते हैं. यहां तक कि महिलाएं, बच्चे पुरुष सभी अंगारों पर चलकर इस वर्षों पुरानी जोखिम वाली मान्यता का निर्वाह करते हैं.
इन आयोजनों के दौरान पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था में तैनात होना पड़ता है. पुलिस के मुताबिक, ग्रामीणों की सुरक्षा के लिहाज से भारी बल की तैनाती की जाती है
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