भाजपा की ओर से शिवराज सिंह के अलावा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग समेत अन्य नेता बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में कैंप करेंगे. इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने भी कमलनाथ के अलावा प्रदेश के अपने कई नेताओं को बंंगाल चुनाव में अहम जिम्मेदारी सौंपी है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं. ये चुनाव तीन चरणों में होंगे. हालांकि नगरीय निकाय चुनाव में अभी समय लग सकता है. इसका कारण प्रदेश की दो मुख्य राजनीतिक पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त होना है. बंगाल चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम अपनी-अपनी पार्टियों के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल है. इन दोनों दिग्गज नेताओं के अलावा भी बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े नेता बंगाल में व्यस्त रहेंगे.
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बंगाल चुनाव में व्यस्त रहेंगे पक्ष-विपक्ष के नेता
भाजपा की ओर से शिवराज सिंह के अलावा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग समेत अन्य नेता बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में कैंप करेंगे. इसी तरह कांग्रेस पार्टी ने भी कमलनाथ के अलावा प्रदेश के अपने कई नेताओं को बंंगाल चुनाव में अहम जिम्मेदारी सौंपी है. सूत्रों की मानें तो दोनों ही पार्टियां नगरीय निकाय चुनाव आगे टालने के लिए सहमत हैं. बंगाल चुनाव 8 चरणों में 27 मार्च से 29 अप्रैल तक चलेगा और 2 मई को नतीजे आएंगे.
मध्य प्रदेश बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित होनी हैं
इस बीच 30 अप्रैल से 18 मई के बीच मध्य प्रदेश में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी होनी हैं. राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि परीक्षाओं के दाैरान चुनाव नहीं होंगे. क्योंकि चुनाव प्रबंधन में शिक्षकों और स्कूल बिल्डिंग्स की जरूरत पड़ती है. पोलिंग बूथ बनाने के अलावा चुनाव ड्यूटी में तैनात सुरक्षाबल भी स्कूलों में ही ठहरते हैं. शिक्षकों की ड्यूटी भी पोलिंब बूथ्स पर लगती है. अब नगरीय निकाय संपन्न कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के पास 15 मार्च से 30 अप्रैल तक का समय बचता है. तैयारियों को देखते हुए यह नामुमकिन है.
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निकाय चुनाव आगे बढ़ाने पर सहमत हैं पार्टियां
यही वजह है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी. तब कहा गया था कि पंचायत चुनाव अप्रैल में करा लिए जाएं, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव मई के बाद कराए जाएं. इस पर आयुक्त ने कहा था कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में कोई एक चुनाव अप्रैल में कराए जाएंगे. वर्तमान तैयारियों को देखकर कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में पहले पंचायत चुनाव ही संपन्न कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत चुनाव तीन चरणों में होंगे लेकिन तारीखों का ऐलान होना अभी बाकी है, जो आगामी दिनों में हो सकता है.
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कोरोना का बढ़ता संक्रमण भी है एक बड़ी वजह
इसके अलावा प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को भी चुनाव टालने का आधार बनाया जा सकता है. पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. निकाय चुनाव के दौरान फिर से राजनीतिक रैलियां होंगी, आम सभाओं में भीड़ जुटेगी. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है. राज्य निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार नगरीय निकाय चुनाव ईवीएम मशीन से कराया जाएगा, जबकि पंच-सरपंच का चुनाव परंपरागत बैलट पेपर से होगा.
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