9 साल बाद मध्य प्रदेश में चहक सकती है राजस्थान की सोनचिरैया, हैचिंग का प्लान तैयार
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9 साल बाद मध्य प्रदेश में चहक सकती है राजस्थान की सोनचिरैया, हैचिंग का प्लान तैयार

2011 के बाद इस अभ्यारण से सोन चिरैया का अस्तित्व खो गया है. उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिली हैं. 

ग्वालियर की घाटी गांव स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला अभ्यारण मध्य प्रदेश का एकमात्र सोन चिरैया का अभ्यारण है.

ग्वालियर: मध्य प्रदेश के एकमात्र घाटी गांव में स्थित सोनचिरैया अभ्यारण में फिर से चहक सकती है. सोनचिरैया की बसाहट देखने के लिए वन विभाग ने एक प्लान तैयार किया है. जिसके मुताबिक अंडों की हैचिंग (अंडे को सेना) की जाएगी. यह अंडे जैसलमेर से लाए जाएगें. हैचिंग देवरी के घड़ियाल प्रजनन केंद्र में तैयार होगी.

दरअसल, प्रदेश से सोनचिरैया का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया था. जिस पर ध्यान देते हुए वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा. यह हैचिंग सेंटर मुरैना की देवरी स्थित घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा. इसमें घास लगाई जाएगी. साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम भी किए जाएंगे. इसके लिए वन विभाग ने बाकायदा प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए मुख्यालय भेज दिया है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस प्लान को मंजूरी देकर इसी साल से लागू देगी.

ग्वालियर की घाटी गांव स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला अभ्यारण मध्य प्रदेश का एकमात्र सोन चिरैया का अभ्यारण है. 2011 के बाद इस अभ्यारण से सोन चिरैया का अस्तित्व खो गया है. उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिली हैं. इसका कारण यह है कि कई उद्योग स्थापित हो गए हैं. शोरगुल के साथ लोगों की चहल-पहल अधिक हो गई है. यही कारण है कि सोन चिरैया इस अभ्यारण से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी हैं. इसे देखते हुए प्रदेश में वापस सोन चिरैया लाने के लिए प्रयास हो रहे हैं. 

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