इस जिले के सीताफल की मिठास है बेहद खास, नीति आयोग भी कर चुका तारीफ
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इस जिले के सीताफल की मिठास है बेहद खास, नीति आयोग भी कर चुका तारीफ

कांकेर जिले का सीताफल अब धीरे-धीरे पूरे देश में अपनी पहचान बनाता जा रहा है. नीति आयोग ने भी सीताफल उत्पादन के लिए कांकेर जिले की तारीफ की है.

कांकेर का सीताफल

कांकेरः छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला सीताफल उत्पादन के लिए भी पूरे देश में पहचाना जाता है. सीताफल उत्पादन में कांकेर जिला पहले स्थान पर रहा है. बता दें कि सीताफल के उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता के लिए पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में कांकेर जिला प्रसिद्ध है. यहां पर प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल के 3 लाख 19 हजार पौधे हैं, जिससे हर साल अक्टूबर से नंवबर माह तक 60 लाख सीताफल का उत्पादन होता है. खास बात यह है कि यह सीताफल पूरी तरह से जैविक होते हैं. सीताफल के पौधे में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है.

नीति आयोग ने भी की कांकेर जिले की तारीफ
सीताफल उत्पादन में पहला स्थान प्राप्त करने पर नीति आयोग ने भी कांकेर जिले की तारीफ की है. बता दें कि कांकेर जिले के कई गांवों में 'कस्टर्ड ऐप्पल पल्प प्रोसेसिंग' मशीन लगाई गई हैं, जो महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा संचालित की जाती हैं. इस मशीन से सीताफल का गूदा निकाला जाता है और बाद में उसे जमाया जाता है. जिसके बाद सीताफल के गूदे से बने सामान को आकर्षक कीमतों पर बाजार में बेचा जा रहा है. महिलाओं के इसी काम के लिए नीति आयोग ने कांकेर जिले की तारीफ की है.

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5000 महिलाओं को जोड़ा जाएगा
जिले में बढ़ते सीताफल के उत्पादन को लेकर कांकेर जिले के कलेक्टर ने इस साल 5000 महिलाओं को सीताफल संग्रहण एवं विक्रय से जोड़ने की पहल शुरू की है. इसके लिए कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि इस साल भी सीताफल का व्यवसाय और दोगुना किया जाएगा. इस काम के लिए महिला स्व-सहायता समूह को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. कांकेर जिला प्रशासन महिलाओं को सीताफल संग्रहण के लिए 28 सीताफल कलेक्शन सेंटरो में विशेष ट्रेनिंग देगा. वर्तमान में कांकेर, चारामा और नरहरपुर विकासखंड के 77 ग्रामों में कलेक्शन पॉइन्ट बनाकर महिला समूहों के माध्यम से सीताफल संग्रह का कार्य शुरू कर दिया गया है.

इसके अलावा सड़क किनारे बैठने वाले सीताफल विक्रेताओं को भी स्व-सहायता समूह के माध्यम से सीताफल बेचने के लिए समझाईश दी जा रही है, ताकि उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिल सके. इस वर्ष सीताफल के संग्रहण तथा व्यापार से जिले के 5700 लोग जुड़ चुके हैं जिसमें 4500 महिलाएं हैं. इनमें 33 समूहों की 599 महिलाएं भी शामिल हैं जो प्रशिक्षित हैं.

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'कांकेर वैली फ्रेश' सीताफल ब्रांड
जिला प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिक से अधिक महिला समूहों को जोड़कर 'कांकेर वैली फ्रेश' सीताफल के ब्रांड नाम से सीताफल की ग्रेडिंग कर मार्केटिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि बिचैलियों से बचा जा सके और सीताफल का अधिकतम लाभ समूह की महिलाओं को मिल सके. कांकेर वैली फ्रेश का सीताफल 20 किलोग्राम के कैरेट और एक किलोग्राम के बॉक्स में बिक्री के लिए उपलब्ध है. जिला प्रशासन द्वारा  सीताफल विक्रय करने वालों से अपील की गई है कि वे सीताफल से जुड़े महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से ही सीताफल का विक्रय करें.

मार्केट में भी बढ़ रही कांकेर के सीताफल की डिमांड
धीरे-धीरे मार्केट में कांकेर के सीताफल की डिमांड बढ़ती जा रही है. बता दें कि यहां सीताफल के पौधे प्राकृतिक तरीके से लगे हुए हैं. जिससे यहां के सीताफल की मांग मार्केट में बढ़ने लगी है. यही वजह है कि जिला प्रशासन ने भी जैविक सीताफल के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. . सीताफल का उपयोग आईस्क्रीम, क्रीम और अन्य सामान बनाने में किया जा रहा है. जिससे सीताफल उत्पादकों को उनके उपज की अच्छी कीमत भी मिलती है.

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