कोमल दास त्यागी महाराज की बड़ी बेटी आईआईआईईएम हैदराबाद में प्रोफेसर है, तो छोटी बेटी बैंक मैनेजर. बेटा एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुका है. वर्ष में एक बार पूरा परिवार कोमल दास से मिलने जरूर आता है.
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डिंडोरी: नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी कहते हैं. भारत की सबसे पवित्र और प्राचीन नदियों में गंगा और यमुना के साथ नर्मदा का जिक्र भी किया जाता है. मध्य प्रदेश में तो नर्मदा को वैसे ही पूजा और पवित्र माना जाता है, जैसे गंगा और यमुना को. तभी तो नर्मदा की सेवा में लोग खुद को समर्पित कर देते हैं. सांसारिक मोह माया त्याग कर 'नमामि देवी नर्मदे' के लिए खुद को खपा देते हैं. दतिया जिले के ऐसे ही एक बुजुर्ग कोमल दास हैं, जिन्होंने मां नर्मदा की सेवा के लिए सरकारी नौकरी और घर-परिवार का त्याग कर दिया.
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वन विभाग में डिप्टी रेंजर पद पर रहे कोमल दास ने नौकरी से वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) लेकर नर्मदा नदी की सेवा में जुटे हुए हैं. नर्मदा के प्रति आस्था और साफ सफाई की अलख जगाने के लिए वह बीते 12 वर्षों से सक्रिय हैं. मूलत: दतिया जिले के रहने वाले कोमल दास फारेस्ट डिपार्टमेंट में अपनी नौकरी के दौरान वर्ष 2005 में ट्रांसफर होकर डिंडोरी आए. उन्होंने वर्ष 2007 में वीआरएस ले लिया और अपने घर दतिया चले गए.
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कोमल दास कहते हैं, ''जब मैंने मां नर्मदा की सेवा की इच्छा अपने परिजनों से व्यक्त की तो पत्नी, दोनों बेटियों और बेटे ने मंजूरी दे दी. शर्त बस इतनी रखी कि वह साल में उनसे एक बार मिलने जरूर आएंगे. '' इसके बाद कोमल दास ने वैराग्य धारण कर लिया और त्यागी महाराज बन गए. वह 2008 से डिंडोरी नगर के पास जोगी टिकरिया में नर्मदा नदी के किनारे कुटिया बना कर रहे हैं. वह प्रतिदिन भोर में ही नर्मदा के किनारे स्थित घाटों की सफाई करने लगते हैं.
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कोमल दास त्यागी महाराज का कहना है कि वह जनवरी 2021 से नर्मदा में फैली गंदगी और उसकी सफाई की अलख जगाने का अभियान शुरू करेंगे. उनकी बड़ी बेटी आईआईआईईएम हैदराबाद में प्रोफेसर है, तो छोटी बेटी बैंक मैनेजर. बेटा एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुका है. वर्ष में एक बार पूरा परिवार कोमल दास से मिलने जरूर आता है. कोमल दास महाराज का कहना है कि नर्मदा मैया की सेवा और साफ सफाई ही अब उनके जीवन का उद्देश्य बन गया है.
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