गलत क्लिक कर आइआइटी बॉम्बे की सीट गंवाने वाले सिद्धांत बत्रा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे से अपने आदेश में कहा कि वह छात्र को अंतरिम प्रवेश दे. पढ़िए पूरी खबर...
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आगरा: सुप्रीम कोर्ट ने आगरा के 18 वर्षीय छात्र सिद्धांत बत्रा को राहत दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में उसे आईआईटी मुंबई की इंजीनियरिंग ब्रांच में अंतरिम प्रवेश देने का फैसला सुनाया है. सिद्धांत ने गलत क्लिक की वजह से IIT बॉम्बे की इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बी.टेक कोर्स की सीट गंवा दी थी. इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की चुनौती थी. लेकिन वहां से याचिका खारिज होने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी.
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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋशिकेष रॉय की पीठ ने सिद्धांत की ओर से अधिवक्ता प्रह्लाद परांजपे के कथन को संज्ञान में लिया था. इसके बाद कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे से अपने आदेश में कहा कि वह छात्र को अंतरिम प्रवेश दे. पीठ ने इसके साथ ही याचिका पर आईआईटी, बॉम्बे को नोटिस जारी किया और यह याचिका शीतकालीन अवकाश के बीच सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी.
दअसल, आगरा के सिद्धांत बत्रा ने JEE की परीक्षा में ऑल इंडिया 270वीं रैंक हासिल की थी. वह अनाथ है और दादी व चाचा के साथ रहता है. उसे 'अनाथ पेंशन' मिलती है. अच्छी रैंक के बाद उसने आईआईटी-बॉम्बे (IIT-Bombay) में अपनी पसंद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बी.टेक कोर्स में जगह पक्की कर ली थी, लेकिन, यह सीट उसने अपनी एक गलती के चलते 15 दिन में ही गंवा दी. 18 अक्टूबर को पहले राउंड में उसने इस सीट को सेलेक्ट कर लिया था, लेकिन, रोल नंबर को अपडेट करने के दौरान उसने 'अगले राउंड में सीट वापसी' के लिंक पर गलती से क्लिक कर दिया. यहां क्लिक करने का मतलब ये था कि उसे इस सीट पर एडमिशन की जरूरत नहीं है.
10 नवंबर को नहीं आया था दूसरी लिस्ट में नाम
10 नवंबर को अगली यानी दूसरी सूची आनी थी. लेकिन उसमें सिद्धांत का नाम नहीं था. अपनी इस गलती को उसने कोर्ट में चैलेंज किया. 19 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में सिद्धांत ने याचिका लगाते हुए वैकेशन बेंच से कहा कि वे आईआईटी को निर्देश दें कि वे 2 दिनों के अंदर इस पर विचार करे. जब लेट रजिस्ट्रेशन के लिए महज दो दिन रह गए थे. ऐसे में आईआईटी बॉम्बे ने बत्रा की याचिका को खारिज कर दिया था.
आईआईटी ने दिया था नियमों का हवाला
आईआईटी रजिस्ट्रार ने बताया था कि इंस्टीट्यूट के पास वापसी के पत्र को खत्म करने का अधिकार नहीं है. आईआईटी बॉम्बे ने अपने 'व्यापार के नियमों' का हवाला देते हुए कहा था उसके पास निकासी पत्र को रद्द करने का अधिकार नहीं है. आईआईटी ने बताया था कि प्रवेश प्रक्रिया अकेले संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
आईआईटी-बॉम्बे ने कहा कि उसके पास खाली सीट नहीं थी और बत्रा अगले साल आवेदन कर सकते हैं. आईआईटी बॉम्बे ने बत्रा की याचिका को खारिज कर दिया था. इसक बाद सिद्धांत ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट को एक अतिरिक्त सीट जोड़ने के लिए याचिका लगाई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की.
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