Agriculture News: सरसों की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले अच्छे तरीके से खेत को तैयार कर लेना चाहिए.
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Agriculture News: खेती-किसानी इन दिनों फायदे का सौदा नहीं रह गई है लेकिन अभी भी कुछ बातों का ध्यान रखकर खेती से बंपर कमाई की जा सकती है. खासकर हाल के दिनों में पीली सरसों की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. बता दें कि सरसों की खेती खरीफ और रबी की फसल के बीच में की जाती है. सरसों की खेती पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक की जाती है.
क्या है सबसे सही समय?
सरसों खेती का सबसे सही समय 15 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक होता है. सरसों की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले अच्छे तरीके से खेत को तैयार कर लेना चाहिए. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करने से मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी. ऐसी मिट्टी में बुवाई करने से अच्छी फसल होती है. सरसों का बीज 4 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना बेहतर परिणाम देता है.
ये हैं सरसों की उन्नत किस्में
पीली सरसों की उन्नत किस्मों की बात करें तो इनमें पीतांबरी, नरेंद्र सरसों-2 और के-88 का नाम शामिल है. पीतांबरी किस्म 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसमें 18-20 कुंतल प्रति हेक्टेयर की औसतन पैदावार हो जाती है. इस किस्म से 42-43 फीसदी तक तेल मिल जाता है.
सरसों की फसल में सिंचाई का सही समय फूल आने का समय होता है. इसके बाद जब फलियों में दाने भरने की अवस्था आती है, तब दूसरी सिंचाई करनी चाहिए. अगर दूसरी सिंचाई से पहले बारिश हो जाती है तो दूसरी सिंचाई नहीं भी होगी तो कोई दिक्कत नहीं है.
बेहतर फसल के लिए किसानों को गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए. संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. आरा मक्खी की सूड़ियों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए. साथ ही माहूं कीट से प्रभावित फूलों, फलियों और शाखाओं को भी तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए. सरसों का मध्य प्रदेश की मंडियों में भाव करीब 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है. ऐसे में सरसों की खेती किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा दे सकती है.
नरेंद्र सरसों-2 किस्म के पकने की अवधि 125-130 दिन है. इसकी उत्पादन क्षमता 16-20 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म में 44-45 प्रतिशत तक तेल निकल जाता है.
के-88 किस्म की सरसों 125-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता 16-18 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म से 42-43 प्रतिशत तेल निकल सकता है.